रघुवंश बाबू की 75 वीं जयंती, चर्चा में आई लालू – नीतीश को लिखी चिट्ठी

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पटना : पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजद के वरिष्ठ नेता रहे स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह की आज 75वीं जयंती है। रघुवंश बाबू को उनके सरल व्यवहार की वजह से लोग ब्रह्म बाबा भी कहते थे। वहीं उनके जयंती पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।

मनरेगा मैन थे रघुवंश बाबू

राजद के तरफ से तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव दोनों ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित किया है। तेजस्वी यादव ने लिखा है कि राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्य, पूर्व केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ समाजवादी नेता मनरेगा मैन आदरणीय रघुवंश बाबू जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन।

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समाजवाद के बरगद

वहीं उनके बड़े भाई और हसनपुर विधायक तेजप्रताप यादव ने लिखा है कि समाजवाद के बरगद रूपी स्तंभ, एक खाँटी जननेता जो सदैव जनता के बीच उन्हीं के रूप में रहें एवं आधुनिक भारत के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाले मनरेगा मैन आदरणीय रघुवंश प्रसाद सिंह जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि..!

वहीं इसके अलावा जीतन राम मांझी , रितु जसवाल समेत अनेकों नेताओं के विभिन्न माध्यम से रघुवंश बाबू को श्रद्धांजलि अर्पित किया है।

पत्र की चर्चा तेज

वहीं इस बीच एक बार फिर से उनके मरने के तीन दिन पहले लिखे पत्र की चर्चा तेज हो गई है। उन्होंने ये पत्र राजद सुप्रीमो लालू यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों को लिखे थे।

भगवान बुद्ध के भिक्षा पात्र वैशाली मंगवाने की मांग

दरअसल, रघुवंश प्रसाद सिंह ने जो पत्र बिहार के मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो को लिखा था उस पत्र के माध्यम से उन्होंने मांग की थी कि 26 जनवरी और 15 अगस्त को एक राज्य स्तरीय सरकारी कार्यक्रम का आयोजन वैशाली में कराया जाए। साथ ही उन्होंने भगवान बुद्ध के भिक्षा पात्र को अफगानिस्तान से वैशाली मंगवाने और मनरेगा से किसानों को जोड़ने जैसी बातें कही थीं।

सिंचाई मंत्री को भी लिखा था पत्र

इसके अलावे उन्होंने बिहार के सिंचाई मंत्री को पत्र लिख कर साहित्यकार राम वृक्ष बेनीपुरी के घर की सुरक्षा के लिए कटैंझा धार को दोनो तटबंधों के बीच लाने की मांग की थी।

मांगों को कोई क्यों नहीं किया जा रहा पूरा

वहीं जिसके बाद अब राजद के नेता ने रघुवंश प्रसाद सिंह के लिखे पत्र के आधार पर सत्ताधारी दल से पूछा है कि तब आदरणीय रघुवंश प्रसाद सिंह जी के शुभ चिंतक बनने का जो ढोंग किया था और बड़ी बड़ी बातें कही थी आज उनकी मांगों को कोई क्यों नहीं पूरा किया जा रहा है।

बहरहाल, देखने वाली बात यह है कि रघुवंश बाबू से मृत्यु पर सत्ता पक्ष के नेताओं का बयान की रघुवंश बाबू का सम्मान खुद का सम्मान है कहां तक जायज है और रघुवंश बाबू ने अपनी पत्र के जरिए जो मांग की थी उसको कब तक पूरा किया जाता है।

 

 

 

 

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