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PUSU चुनाव: पिछले साल पीके का दखल, इस बार किसका ?

पटना विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव की घोषणा हो चुकी है। छात्र संघ का चुनाव सात दिसंबर को होना है। चुनाव को लेकर विवि प्रशासन ने कहा कि चुनाव की पूरी रूपरेखा जल्द जारी की जाएगी । सात दिसंबर को दोपहर 2 बजे तक वोटिंग व उसी दिन काउंटिंग होगी और देर रात तक परिणाम घोषित किये जाएंगे। छात्र संघ के अध्यक्ष मोहित प्रकाश, उपाध्यक्ष अंजना सिंह, महासचिव मणिकांत मणि,  संयुक्त सचिव राजा रवि, कोषाध्यक्ष कुमार सत्यम के कार्यकाल को नए छात्रसंघ के गठन के पूर्व भंग कर दिया गया। जब यह मामला कुलपति के सामने उठाया गया, तो उनकी तरफ से सकारात्मक जवाब मिला और कहा गया कि अगले कार्यकाल से जब तक छात्रसंघ चुनाव कि घोषणा नहीं हो जाती तब तक वर्तमान कार्यकाल को भंग नहीं करने पर विचार किया जाएगा।

छात्रसंघ के अध्यक्ष मोहित प्रकाश, उपाध्यक्ष अंजना सिंह, महासचिव मणिकांत मणि, सचिव राजा रवि, कोषाध्यक्ष कुमार सत्यम के कार्यकाल के दौरान पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ की राजनीति में जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर के दखल के कारण कुछ राजनीतिक दलों को प्रशांत किशोर का यह रवैया नागवार गुजरा था। पीयू छात्र संघ चुनाव में आरजेडी और कैंपस की राजनीति करने वाली लेफ्ट महागठबंधन एक साथ चुनाव मैदान में थे। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और जेडीयू की छात्र विंग अलग-अलग चुनाव लड़ रही थी, जबकि प्रदेश में दोनों साथ मिलकर शासन कर रहे थे।

प्रदेश में शासन करने वाली भाजपा और जदयू दोनों पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ में अकेले लड़ रहे थे. जानकार यह भी बताते हैं कि जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार की तरफ से पीके को छात्रसंघ के चुनाव में छात्र जदयू का जनाधार बढाने के लिए पूरी छूट दी गई थी। जिसके बाद प्रशांत किशोर अपने तरीके से खुद को छात्रसंघ की राजनीति में खुद के नाम का भौकाल बनाने की जुगत करने लगे। इसी सिलसिले में वे विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य तथा कुलपति तक को सलाह देने उनके आवास तक पहुँच गए और यह बताने लगे थे कि छात्रसंघ का चुनाव कैसे करवाया जाता है। भाजपा के कुछ नेताओं को पीके का यह रवैया पसंद नहीं आया और उन्होंने प्रशांत किशोर पर छात्र संघ चुनाव को प्रभावित करने के सन्दर्भ में साझा बयान जारी कर यह आरोप लगाया था कि पीके और उनके समर्थक धनबल, बाहुबल और पुलिस व विवि प्रशासन के हस्तक्षेप से छात्र राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं, जिसको लेकर बीजीपी ने प्रशांत किशोर पर आचार संहिता का उल्लंघन का मामला दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग की थी। लेकिन, बिहार प्रदेश के बड़े नेता जो नीतीश के काफी अच्छे दोस्त माने जाते हैं तथा बिहार भाजपा के सबसे बड़े नेता हैं उनके दखल के बाद भाजपा को पीछे हटना पड़ा था तथा जो पार्टी नेता पीके के पीछे लगे हुए थे उनको कड़ी फटकार भी लगी थी। पिछले साल के मुकाबले इस साल यह देखना दिलचस्प होगा कि इन दोनों पार्टियों का छात्रसंघ के चुनाव में कितना हस्तक्षेप होता है।

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