सफ़दर हाश्मी कहते हैं ……..
किताबें करती हैं बातें
बीते जमानों की
दुनिया की, इंसानों की
आज की कल की
किताबें, कुछ तो कहना चाहती हैं
किताबों का अपना ही संसार है.
किताबें कुछ तो कहना चाहती हैं,
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं !
बिहार प्राचीनकाल से ज्ञान का बड़ा केंद्र रहा है
भारतीय संस्कृति ने हमेशा शैक्षिक और उससे सम्बंधित चीजों को विशेष महत्त्व दिया है। इसी देश का एक प्रदेश बिहार जो कि प्राचीनकाल से ही शिक्षा और ज्ञान का बड़ा केंद्र रहा है। सांस्कृतिक संपन्नता वाला यह प्रदेश फिर से देश का शिक्षा और संस्कृति का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। प्रदेश की राजधानी पटना के गाँधी मैदान में पटना में दो-दो पुस्तक मेले लगे हैं। गाँधी मैदान के हरियाली में पसरी किताबों की दुनिया में दिनभर पुस्तक प्रेमियों का आना-जाना लगा हुआ है। सुबह के 11 बजे से लेकर शाम के 8 :30 बजे तक हर स्टॉल पर पाठकों की दमदार उपस्थिति रहती है। पुस्तक प्रेमी अपनी मनपसंद किताबें खोजते दिख रहे हैं। हर वर्ग के लोग अपने -अपने पसंद के अनुसार किताबें ढूंढने में लगे हुए हैं।
पर्यावरण है तो जीवन है
25 वें पटना पुस्तक मेला का थीम “पेड़, पानी, जिंदगी’ है। जल है तो पर्यावरण है, पर्यावरण है तो जीवन है और जीवन है तभी हम आगे बढ़ सकते हैं। हिंदी पत्र-पत्रिकाओं का सबसे बड़ा बाज़ार में से एक बिहार रहा है। साहित्य सृजन और साहित्य पठन से बिहारियों का गहरा नाता रहा है। संस्कृत में कहा गया है “स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते” अर्थात राजा केवल अपने देश में पूजा जाता है परंतु विद्वान सर्वत्र पूजे जाते हैं। पुस्तकें हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है-‘तमसो मां ज्योतिर्गमय’। पुस्तकें हमें ज्ञान देती हैं।
सभ्यता के विकास में पुस्तक
पटना में पुस्तकों के मेले लगे हैं। पुस्तक किसी भी व्यक्ति के विकास में, समाज, सभ्यता के विकास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पुस्तक मेले में राजनीति, इतिहास, दर्शन, अर्थशास्त्र, चिकित्सा, कानून सभी विषयों पर किताबें हैं। मैथिली भाषा में रामायण ग्रंध भी है। पुस्तक प्रेमियों के द्वारा पाकिस्तानी लेखकों की किताबों को भी पसंद किया जा रहा है। पुस्तक मेले में बिहार विशेष रूप से पटना के लेखकों को भी आप पढ़ सकते हैं । उनकी कुछ नव प्रकाशित पुस्तकों के साथ भी आप समय बिता सकते हैं । युवा लेखिका प्रियंका ओम की दो किताबें “मुझे तुम्हारे जाने से नफरत है “एवं “वो अजीब लड़की”। लेखक प्रवीण झा की “कुली लाइन्स” .अरुण सिंह की लिखी किताब “खोया हुआ शहर” जिसमें अपने पटना के अतीत को बड़े ही रुचिपूर्ण ढंग से उकेरा गया है । पढ़ कर आप बहुत से अनजाने तथ्यों से रूबरू हो पाएंगे । रत्नेश्वर सिंह की सालों से आ रही रेखना मेरी जान और “एक लड़की पानी पानी” भी मन है तो पढ़ सकते हैं। क्योंकि इनकी किताब पर्यावरण और क्लाइमेट चेंज को लेकर लिखी गई है।