पटना : राजनीति की नर्सरी पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गईं हैं। कल नामांकन की अंतिम तिथि बीतने के बाद 5 दिसंबर को होने वाले चुनाव में सेंट्रल पैनल की 5 सीटों तथा सभी 11 कॉलेजों में काउंसलर पदों के लिए कुल 121 प्रत्याशी मैदान में हैं। अब स्क्रूटनी के बाद चुनाव मैदान में डटे प्रत्याशियों की संख्या की सही तस्वीर मिल सकेगी। वैसे तो बिहार कई राष्ट्रीय आंदोलनों का जनक रहा है। आजादी की लड़ाई से लेकर संपूर्ण क्रांति तक, बिहार के राजनीतिक रूप से संवेदनशीलता से हम भलीभांति परिचित हैंं। ऐसे में पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव का अपना एक अलग और खास महत्व है। जाहिर है कि इस चुनाव में भाग लेने वाले छात्रों को यह जानकारी होनी चाहिए कि वे किसे वोट दें, और किसे नहीं। आइए जानें कि एक सीधा—सादा छात्र प्रत्याशियों और पार्टियों की इस भीड़ में किसे चुने और क्यों?
चुनावी डुगडुगी बजने के साथ ही तमाम प्रत्याशी कॉलेज की व्यव्यस्था सुधारने से लेकर मूलभूत सुविधाओं को दिलाने का वायदा करते हुए वोट मांग रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि वोटर छात्र योग्य प्रत्याशी चुनने में सजग हो।
प्रत्याशियों की योग्यता को इन मानकों द्वारा परखें
* उस छात्र में नेतृत्व क्षमता हो
* उसमें छात्र समस्याओं के निवारण हेतु योजना हो
* छात्रनेता के पास आपके लिए समय कितना है, यह जानें
* वह छात्र एक अच्छा व्यक्ति हो और सही समय पर काम आ सके
पटना विश्वविद्यालय भले ही कभी ऑक्सफ़ोर्ड ऑफ ईस्ट कहा जाता हो, पर इसकी समस्याएं आज अथाह हैं। चुना गया प्रत्याशी कॉलेज की तमाम समस्याओं को बेहतर जानता हो और वह उस पर कार्य करने का माध्यम बने तो ही समस्याएं दूर हो सकती हैं।
पीयू के कॉलेजों की जरूरतों की होनी चाहिए जानकारी
* छात्रों पर कड़े नियम लागू हों ताकि वो रोज पढ़ने आवें, उनका अटेंडेंस 75% हो
* पठन-पाठन पर हो विशेष ध्यान
* प्रोफेशनल कोर्स जैसे जनसंचार और बीसीए में लैब और प्रैक्टिकल की व्यवस्था हो
* बायो-टेक्नोलॉजी और फार्मेसी से जुड़े छात्रों के लिए लैब में जरूरी व्यवस्थाएं हों
ये जरूरी बातें हैं जो छात्रसंघ चुनाव की सारगर्भिता को पूरा करती है। इसके अलावा पटना विश्वविद्यालय की समस्या महिला सुरक्षा को ले कर भी है। उसके लिए जरूरी है कि कॉलेज में स्वच्छ एवं साफ-सुथरे माहौल को संप्रेषित किया जाए।
छात्राओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता
* लड़कियों के साथ-साथ छेड़छाड़ पर रोकथाम
* छात्रों के साथ बेवजह मारपीट को रोका जाए
* कॉलेज कैंपस में बाहरी छात्रों के अनावश्यक प्रवेश पर रोक
* कैंपस में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था अति आवश्यक
* कॉलेजों के आंतरिक इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी सनस्यओं का निवारण
* कैंपस से ले कर कक्षा एवं प्रांगण में साफ-सफाई की व्यव्यस्था
* पानी एवं अल्पाहार के लिए कॉलेजों में कैंटीन
* प्रत्येक कॉलेज में एक कंप्लेन सेल हो ताकि गलत व्यवहार को दुरुस्त किया जा सके।
* इसके अलावा हाईटेक पूछताछ केंद्र बने ताकि छात्रों को डाक्यूमेंट्स और एडमिशन संबंधी जानकारियां मिल सके।
बहरहाल, उपरोक्त तमाम चीजें ओर मांग छात्रसंघ की जिम्मेवारी है। पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव कई मायनों में बिहार और देश की राजनीति को एक दिशा और दशा देने का काम करता है। ऐसे में पटना विश्वविद्यालय में शिक्षा के राजनीतिकरण से परे दुरुस्त राजनीति को बढ़ावा देने के लिये जरूरी है, बेहतर नेतृत्व क्षमता।
मनीष सिंह यादव
(लेखक कॉलेज आॅफ कॉमर्स में पत्रकारिता के छ़ात्र हैं)