पीयू को केंद्रीय दर्जा न मिलने को ले नीतीश का छलका दर्द, मोदी को भविष्य की फिक्र
पटना : पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विवि का दर्जा दिलाने की अपनी मांग खारिज किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दर्द जुबान पर छलक आया। वे रविवार को पटना विवि के केंद्रीय पुस्तकालय के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने अपने छात्र जीवन के दिनों को याद करते हुए कहा कि सांइस कॉलेज में आना ही उनके जैसे छात्रों के लिए बड़ी बात थी। भारत छोड़िए, उस समय यह एशिया का सबसे बड़ा कॉलेज था। पटना विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा देने की मांग लंबे समय से की जा रही है। लेकिन, दो साल पहले उनके इस मांग को खारिज कर दिया गया।
मुख्यमंत्री का इशारा दो साल पहले हुए पटना विवि के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य की ओर था। उस समारोह में प्रधानमंत्री ने पटना विवि को केंद्रीय विवि बनाने की मांग को लेकर कुछ नहीं कहा था। इसके बदले पीएम मोदी ने यह कहा था कि भारत सरकार द्वारा बनाए गए मानदंडों को यह विवि अगर पूरा करता है, तो इसे विश्वस्तरीय बनाने के लिए बड़ी धनराशि उपलब्ध करायी जाएगी। पीएम के इस घोषणा से विवि के छात्रों में मायूसी छा गई थी। जाहिर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आशा के अनुरूप घोषणा नहीं होने से दुखी हुए होंगे। उनका वही दो साल पुराना दुख रविवार को सामने आ गया।
मुख्यमंत्री ने मंच पर आसीन भारत के उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू की ओर देखते हुए कहा कि आज उप राष्ट्रपति महोदय हमलोग की बातें सुन रहे हैं। इनसे भी उम्मीद जगी है। संबोधन के दौरान पीयू को केंद्रीय विवि का दर्जा देने की मांग को लेकर कुछ छात्र हाथों में तख्ती लेकर नारेबाजी कर रहे थे। इस पर मुख्यमंत्री ने ध्यान दिया और छात्रों से कहा कि उनकी मांग को उपराष्ट्रपति महोदय सुन रहे हैं।
एक ओर मुख्यमंत्री पटना विवि के गौरवशाली इतिहास और केंद्रीय दर्जे की बात कर रहे थे। दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जेपी आंदोलन के दिनों की चर्चा करते हुए पटना विवि के पुस्तकालय को जनआंदोलन का केंद्र बताया। मोदी ने कहा कि सौ सालों से जीवित यह पुस्तकालय आगे भी जीवित रहे, इसके लिए इसे आधुनिकता व तकनीक से लैस करना होगा। हाई—स्पीड इंटरनेट, लैपटॉप आदि इस लाइब्रेरी में हो, ताकि गरीब छात्र भी गुणवत्तापूर्ण अध्ययन कर सकेंं। ऐसा होने पर अगले सौ साल तक यह पुस्तकालय जीवंत रहेगा।