प्रोन्नति, नियुक्ति व स्थानांतरण को लेकर पीयू में राजभवन के निर्देशों की अवहेलना हुई : पप्पू वर्मा
पटना : पटना विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य पप्पू वर्मा ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति को जब राज्यपाल सचिवालय बिहार द्वारा निर्देशित 6 मार्च 2020 को पत्र के माध्यम से इस बात का सख्त निर्देश दिया गया था कि किसी भी प्रकार का प्रोन्नति, नियुक्ति अथवा स्थानांतरण इत्यादि पर किसी प्रकार की कार्रवाई या निर्णय नहीं लिया जाए। इसके बावजूद कैसे पटना विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा 6 मार्च 2020 से लेकर 22 अप्रैल 2020 तक विश्वविद्यालय के तमाम प्रकार की प्रोन्नति, हस्तांतरण एवं सेवा संपुष्टि सहित अन्य विषयों पर बेधड़क निर्णय लेते हुए अधिसूचना जारी की गई।
ज्ञात हो कि कुलपति ने पुनः ज्ञापत संख्या 2698/R 22 अप्रैल 2020 को कुलसचिव पटना विश्वविद्यालय द्वारा जारी अधिसूचना में 6 मार्च 2020 से 22 अप्रैल 2020 तक के लिए गए सभी प्रकार के निर्णय को निरस्त कर दिया गया। पप्पू वर्मा ने कहा है कि पटना विश्वविद्यालय के कुलपति सर्वप्रथम राज्यपाल सचिवालय द्वारा दिए गए निर्देशों का अवहेलना कर निर्णय लिए थे।
बाद में उन सारे निर्णय को रद्द करना ही तथ्यों को प्रमाणित करता है कि उन्होंने इस अवधि के दौरान अपने पद के मर्यादा को ताक पर रखकर उन्होंने व्यापक पैमाने पर किए गए नियुक्ति, प्रोन्नति एवं सेवा संपुष्टि संबंधित मामले पर उठ रहे सवालों एवं आने वाले दिनों में इन फैसलों पर निश्चित ही होने वाले जांच से घबरा कर अचानक 22अप्रैल 2020 को उन्होंने अपने द्वारा किए गए सारे फैसलों को रद्द कर दिया।
इस घटना से पटना विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठा धूमिल होने के साथ-साथ लाभान्वित शिक्षकों एवं कर्मचारियों में हताशा, निराशा एवं आक्रोश का वातावरण व्याप्त है। चर्चा के मुताबिक पटना विश्वविद्यालय के द्वारा जारी अधिसूचना से यह प्रमाणित होता है कि अधिसूचना में कहीं भी राज्य भवन के लिखित या मौखिक आदेश का जिक्र नहीं है। ऐसे में कर्मचारियों के बीच यह चर्चा आम है कि कुलपति को अगर सारे निर्णय पर फैसला लेना ही था क्यों नहीं राजभवन से पूर्वानुमति लेकर की गई थी। अगर पूर्वा अनुमति ली गई होती तो आज इन फैसलों को रद्द करने की जरूरत महसूस नहीं होती।
पप्पू वर्मा ने राजपाल से मांग करते हुए कहा कि 6 मार्च 2020 से लेकर 22 अप्रैल 2020 तक हुए तमाम नोटिफिकेशन की जांच एक कमेटी बनाकर करने का निर्देश महामहिम राज्यपाल द्वारा दी जानी चाहिए। ताकि कुलपति द्वारा लिए गए गलत निर्णय या व्यक्तिगत लाभ संबंधित मामले का भंडाफोड़ हो सके।
साथ ही साथ इनके पूरे कार्यकाल के विशेषकर विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह केंद्रीय पुस्तकालय, शताब्दी समारोह एवं पटना विश्वविद्यालय के तमाम परिसर एवं कॉलेजों में हुए बेतहाशा निर्माण एवं वित्तीय खर्च का ऑडिट रिपोर्ट कर निगरानी से जांच करने की मांग करते हैं। ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो सके। इन सभी कारनामों का कुलपति पटना विश्वविद्यालय को इसका जवाब देना होगा।