1991 के चुनाव में लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान यहाँ से सांसद बने। उसके बाद यह पासवान ने यह सीट अपने भाई रामचंद्र पासवान को सौंप दी और वे खुद हाजीपुर चले गए। रामचंद्र पासवान 2004, 2014 और 2019 में समस्तीपुर सीट से चुनाव जीते थे। लेकिन, रामचंद्र पासवान के देहांत के बाद पार्टी ने रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज के ज़रिये समस्तीपुर सीट अपने पास रखना चाहती है। एनडीए समर्थित लोजपा उम्मीदवार प्रिंस राज को सहानुभूति का फायदा मिल सकता है। लेकिन, पार्टी नरेंद्र मोदी के नाम पर ही चुनाव में वोट मांग रही है।
आरक्षित समस्तीपुर सीट पर हो रहे उपचुनाव में कुल 8 प्रत्याशी मैदान में हैं। लोजपा के प्रिंस राज और कांग्रेस के डॉ अशोक कुमार के बीच मुख्य मुकाबला है। इससे पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में रामचंद्र पासवान को 562443 वोट और कांग्रेस के डॉ अशोक कुमार को 310800 वोट प्राप्त हुए थे। 2019 के चुनाव में रामचंद्र पासवान ने डॉ अशोक कुमार को 251643 मतों से हराया था।
बिहार के चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण करक होता है जातीय समीकरण। जातीय समीकरण के आधार पर समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में यादव 32%, कुशवाहा 24 % सवर्ण 18 %, मुस्लिम12 % और अन्य वर्ग के मतदाता 14 प्रतिशत हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि बीते 3 दशक से तो इस सीट पर पासवान परिवार के लोग ही राज किये हैं। हमलोग अभी भी विकास की बाट जोह रहे हैं। चीनी मिल ,जूट मिल और पेपर मिल सहित सारे उद्योग बंद हो चुके हैं ,अगर कुछ बचा है तो सिर्फ खंडहर व अवशेष। अंततः जनता के पास सुयोग्य उम्मीदवार नहीं होने के कारण लोगों का झुकाव प्रिंस राज के तरफ जा सकता है।