गया : ‘मुक्तिधाम’ के रूप में विश्वविख्यात विष्णु नगरी गयाजी में ‘पितृपक्ष’ के दौरान पिंडदान का विशेष महत्व है। गयाजी में कई वेदियों पर पिंडदान किया जाता है लेकिन मान्यता है कि प्रेतशिला में पिंडदान करने से प्रेतयोनि से मुक्ति मिलती है।
गया शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित प्रेतशिला पर्वत का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस पर्वत पर पिंडदान करने से अकाल मृत्यु को प्राप्त पूर्वजों तक पिंड सीधे पहुंच जाता है। इससे उन्हें कष्टदायी योनियों से मुक्ति मिल जाती है। करीब 873 फुट और 676 सीढ़ी चढ़कर ही कोई प्रेतशिला वेदी तक पहुंच सकता है।
वायु पुराण के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि अकाल मौत को प्राप्त लोगों को प्रेत योनि से मुक्ति के लिए प्रेतशिला पर्वत पर पिंडदान किया जाता है। प्रेत आत्माओं की शांति के लिए प्रेतशिला पर पिंडदान करने की परम्परा है। प्रेत पर्वत के शिखर पर स्थित ब्रह्म सरोवर में तर्पण करने के बाद वहां पिंड का विसर्जन किया जाता है। पर्वत के शिखर पर स्थित शिला विष्णु मंदिर, ब्रह्म चरण एवं माता मंदिर प्रमुख हैं।
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