प्रशांत किशोर पर पटना विवि में क्यों हुआ पथराव? जानें, क्यों ठगा महसूस कर रहे छात्र?
पटना : कल देर रात पटना विश्वविद्यालय में जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर छात्रों द्वारा पथराव किए जाने की खबर आई। जदयू ने आरोप अभाविप से जुड़े छात्रों—कार्यकर्ताओं पर लगाया। लेकिन अभाविप ने इससे साफ इनकार किया। ऐसे में प्रश्न उठता है कि प्रशांत किशोर पर पथराव किसने किया? क्यों किया? आइए जानते हैं कि इस पूरे मामले का सच क्या है?
‘पीयू से सीयू’ के बहाने छात्रों को झांसा
दरअसल पटना विश्वविद्यालय में इस समय छात्रसंघ चुनाव का दौर चल रहा है। उधर जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को पार्टी की तरफ से युवाओं के बीच जदयू की पैठ बनाने की जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार ने दे रखी है। ऐसे में छात्रसंघ चुनाव उनके लिए एक बड़ा मौका हो सकता है, इसे ध्यान में रखते हुए प्रशांत किशोर ने छात्रसंघ चुनाव की घोषणा के पूर्व से ही खास रणनीति बनाकर अमल शुरू कर दिया था। इस क्रम में चुनाव की घोषणा से पूर्व जदयू ने छात्रों के बीच ‘पीयू से सीयू तक’ यानी ‘पटना यूनिवर्सिटी से सेंट्रल यूनिवर्सिटी तक’ अभियान चलाया था। इस अभियान के दौरान विवि के छात्रों से केंद्रीय विवि के नाम पर समर्थन के झांसे में उनका सारा पर्सनल डिटेल ले लिया गया था। इसबीच चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो गई जिसके बाद प्रशांत किशोर की विवि की राजनीति में दखल बढ़ने लगी। इसी क्रम में वे सोमवार की रात पटना विश्वविद्यालय के कुलपति आवास पहुंचे, जहां छात्रों ने वीसी आवास को घेरकर नारेबाजी शुरू कर दी।
सूत्रों ने बताया कि छात्र प्रशांत किशोर के वीसी से मुलाकात को उनके द्वारा चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि जदयू ने धोखे से सभी छात्रों का जो डिटेल लिया था, उनका उपयोग अब मैसेज भेजने में किया जा रहा है। जदयू की तरफ से अचानक छात्रों के मोबाइल पर जदयू के मैसेज जबरन आने शुरू हो गए, जो प्रचार बंद होने के बाद एक तरह से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन ही है। इससे छात्र भड़क उठे और नारेबाजी तथा पथराव कर दिया गया।
5 दिसंबर को होने वाले छात्रसंघ चुनाव में जदयू के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर पार्टी के छात्र जदयू विंग को स्थापित करने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं। कल पीयू में अध्यक्षीय संवाद के बाद आचार संहिता लागू हुई। इसके बाद सभी छात्रनेताओं को समय—सीमा खत्म हो जाने के कारण चुनाव प्रचार बंद करने की हिदायत दी गई थी। लेकिन जदयू की तरफ से प्रशांत किशोर की टीम लगातार इस आचार संहिता का उल्लंघन करने में लगी रही, वह भी छात्रों सेधोखे से लिए गए आंकड़ों का इस्तेमाल करके।
चुनाव में आंकड़ों का इस प्रकार हो रहा दुरुपयोग
प्रशांत किशोर छात्रसंघ चुनाव की घोषणा से पहले ही योजना बना रहे थे। जदयू उपाध्यक्ष के मार्गदर्शन में छात्र जदयू ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस दौरान विश्वविद्यालय के कई छात्रों के मोबाइल नंबर लिए गए। अब छात्र शिकायत कर रहे हैं कि उनके नंबर पर एक कॉल आ रहा है जिसमें छात्र जदयू के सेंट्रल पैनल पर खड़े उम्मीदवारों के द्वारा वोट अपील की रिकॉर्डिंग सुनाई देती है। रिकॉर्डिंग में उम्मीदवार के नाम के अलावा उनके कॉलेज नाम और बैलट नंबर की जानकारी दी जा रही है।
लोकसभा और विधानसभा में लॉबिंग कर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दे चुके प्रशांत किशोर पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ की राजनीति में कितने सफल साबित होते हैं ये 5 दिसंबर के बाद ही पता चलेगा। लेकिन इतना तो तय है कि तकनीक और धोखे का इस्तेमाल कर डाली गई नींव पर कोई बुलंद इमारत तो कभी खड़ी नहीं कर सकता है।
सत्यम दुबे