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पुलिस के पास 303 तो शूटरों के पास एके—47, फिर कैसे धरायेंगे अनंत सिंह?

पटना : बिहार पुलिस के पास 303 और शूटरों के पास एके—47! फिर कैसे हो अपराध से मुकाबला। जी हां हाल की दो घटनाओं ने गुड पुलिसिंग को लेकर बिहार पुलिस की खिंचाई करने वालों को आइना दिखा दिया है। पहली घटना पूर्व सीएम डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के अंतिम संस्कार के वक्त तब सामने आयी जब उन्हें सलामी देने के लिए 303 से किये गए 21 फायर में से एक भी गोली नहीं चली। हैरान करने वाली बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी वहां मौजूद थे। हर बार पुलिस की राइफल लॉक हो गई। दूसरी घटना—सारण के मढ़ौरा में इन्हीं 303 से लैस पुलिसकर्मियों को बेखौफ अपराधियों ने बीच बाजार एके—47 से भून डाला। एक दारोगा और एक सिपाही की मौके पर ही मौत हो गई।

द्वितीय विश्वयुद्ध के काल का है थ्री नॉट थ्री राइफल

दो दिन के भीतर हुई इन दो घटनाओं ने कानून व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार की मंशा को कटघरे में खड़ा कर दिया। एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि जो असलहा बिहार पुलिस आज इस्तेमाल कर रही है, वही द्वितीय विश्वयुद्ध के समय का है और आउटडेटेड हो चला है। इसे अब भारत छोड़ विश्व में कहीं भी इस्तेमाल में नहीं लाया जाता। एक तरफ तो बहुबली अनंत सिंह जैसे लोगों के पास एके—47 जैसे हथियार हैं। वहीं उन्हें पकड़ने जाने वाली पुलिस के पास 303 राइफल। ऐसे में आप ‘गुड पुलिसिंग’ के बारे में सहज अंदाजा लगा सकते हैं।

सीएम की मौजूदगी में फुस्स हुई पुलिस राइफल

Image result for three not three rifle bihar policeयहां चौंकाने वाली बात यह कि जब डॉ. जगन्नाथ मिश्र को अंतिम सलामी देने के दौरान पुलिसकर्मियों की बंदूक एक भी फायर नहीं कर सकी, तब जहां समूचे प्रशासनिक अमले के होश फाख्ता हो गए, वहीं हैरान करने वाली बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी वहां मौजूद थे।

एसपी की सफाई, लेकिन यकीन करना मुश्किल

हालांकि बाद में वहां मौजूद सुपौल एसपी ने सफाई दी कि सलामी देने में ऐम्पटी कार्ट्रिज फायर किया जाता है, जिसमें सिर्फ आवाज होती है। लाइव कार्ट्रिज नहीं होता है। लाइव कार्ट्रिज ड्यूटी के दौरान इस्तेमाल करते हैं। यह ब्लैंक कार्ट्रिज होती है, इसमें पेंदे पर जब चोट पड़ती है तो स्पार्क के साथ महज आवाज उत्पन्न होती है। अब जांच करके पता करा रहे हैं कि इस कार्ट्रिज में क्या दिक्कत थी, किस बैच की कार्ट्रिज थी, कब आई थी, कब से इसका इस्तेमाल नहीं हुआ था। लेकिन एसपी साहब की सफाई पर यकीन करना मुश्किल है क्योंकि जब ऐम्पटी कार्टिज ही फायर नहीं हुआ तब अहम मौकों पर असली कार्टिज फायर कर पायेगा, निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता।