सदगुरु की जेलयात्रा के 100 वर्ष और आजादी के अमृत महोत्सव की आध्यात्मिक ऊर्जा से पीएम अभिभूत

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वाराणसी : 100 वर्ष पूर्व क्रांतिकारी भाषण देने के लिए अंगरेजों के कोप का भाजन बन जेलयात्रा करने वाले विहंगम योगी सदगुरु सदाफल देव जी की देश की आजादी के लिए किये गए आध्यात्मिक प्रयोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज साक्षात महसूस किया। अपनी स्वर्वेद महामंदिर धाम की यात्रा के दौरान पीएम ने कहा कि आज अनेक सुखद संयोग बनते ही चले जाते हैं। विहंगम योग का 98वां वार्षिकोत्सव, देश की आजादी के लिए विहंगम योग के प्रणेता सदगुरु सदाफलदेव जी महाराज की जेल यात्रा का शताब्दी वर्ष और आजादी का अमृत महोत्सव-हम सब एक साथ इनके साक्षी बन रहे हैं। आज गीता जयंती भी है, इसकी सभी को बधाई देता हूँ। सदगुरु सदाफलदेव जी ने आज से 98 वर्ष पूर्व समाज के जागरण के लिए, जन-जन को जगाने के लिए जो संकल्प किया था वह आज एक बीज से एक वटवृक्ष का रूप ले चुका है। इस स्थान पर आप लाखों लोगों के बीच हमलोग एक संत संकल्प को महसूस कर रहे हैं। मैं सदगुरु की आध्यात्मिक उपस्थिति को प्रणाम करता हूँ।

स्वर्वेद महामंदिर विश्व का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र

पीएम ने पूज्य वर्तमान स्वामीजी का आभार जताते हुए कहा कि मुझे इस कार्यक्रम में आने का एवं इस पवित्र स्थान का दर्शन करने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री उमरहाँ, वाराणसी स्थित विश्व के सबसे बड़े ध्यान केंद्र स्वर्वेद महामन्दिर धाम का दौरा करने के बाद कार्यक्रम स्थल पहुंचे जहां पूर्वांचल एवं देश के विभिन्न क्षेत्रों से एक लाख से अधिक लोग उपस्थित थे। उनके साथ यूपी की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय मंत्री महेन्द्रनाथ पाण्डेय एवं राज्य के मंत्री अनिल राजभर भी थे।

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स्वर्वेद महामंदिर धाम की पीएम ने की प्रदक्षिणा

दोपहर 3 बजे वायुसेना के हेलीकाॅप्टर से उतरकर पीएम और सभी अतिथि सीधा स्वर्वेद महामन्दिर धाम परिसर में गए। प्रधानमंत्री ने महामन्दिर की प्रदक्षिणा कर प्रथम तल पर अमर स्वतंत्रता सेनानी, अनंत श्री सदगुरु सदाफलदेव जी महाराज की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात् उन्होने महामन्दिर निर्माण कार्य का जायजा लिया। स्वर्वेद महामन्दिर विश्व के सबसे बड़े साधना केन्द्रों में से एक है। सात तलों के इस महामन्दिर में एक साथ 20,000 से अधिक लोग बैठकर ध्यान कर सकेंगे। महामन्दिर की दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे श्वेत मकराना संगमरमर पर उकेरे गए हैं। फर्श एवं दीवारों पर 3 लाख वर्गफुट श्वेत संगमरमर एवं बाहरी आवरण पर 3 लाख घनफुट नक्काशीदार गुलाबी सैण्ड स्टोन का उपयोग हुआ है।

सदगुरु स्वतंत्रदेव जी ने भेंट किया समृतिचिह्न

महामन्दिर दर्शन के बाद सभी अतिथिगण कार्यक्रम मंच पर पहुँचे। प्रधानमंत्री जी का स्वागत सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्रदेव जी महाराज एवं सन्त प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज ने शाॅल एवं स्मृति चिह्न रूप में स्वर्वेद महामन्दिर की प्रतिकृति देकर किया।
स्वागत में सन्त प्रवर जी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री जी के पास इच्छा शक्ति की कोई कमी नहीं। कठिनाइयों को आप अवसर मानते हैं। राम मंदिर से लेकर कश्मीर तक, सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर मेक इन इण्डिया तक। स्वच्छ शासन से लेकर घर-घर शौचालय निर्माण तक। आपके द्वारा अनेकानेक ऐतिहासिक, देशहित के कार्य हुए हैं। योग को आपने अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। आपने देश को पूरी दुनिया में सम्मान दिलाया है।
सन्त प्रवर जी ने योगी आदित्यनाथ जी के लिए कहा कि योगी ही उपयोगी है। एक योगी स्वयं की चिंता न करते हुए अन्यों के लिए कार्य करता रहता है।

आजादी में सदगुरु सदाफल देव की भूमिका पर प्रकाश

कार्यक्रम में सदगुरु स्वतंत्रदेव जी महाराज ने विहंगम योग के प्रणेता, अमर स्वतंत्रता सेनानी, अनंत श्री सदगुरु सदाफलदेव जी महाराज द्वारा देश की आजादी हेतु आज से 100 वर्ष पूर्व सन् 1920 में दानापुर पटना की छावनी में दिए गए क्रांतिकारी भाषण एवं विद्रोह के आरोप में 2 वर्ष की जेल यात्रा पर प्रकाश डाला। स्वामीजी ने प्रधानमंत्री के देशहित में निरंतर परिश्रम की प्रशंसा करते हुए अपना आशीर्वाद प्रदान किया। उन्होंने यह भी कहा कि आज प्रधानमंत्री पूरे विश्व में अनेकानेक सम्मान प्राप्त कर रहे हैं। यह वास्तव में भारत का ही सम्मान है। वर्तमान प्रधानमंत्री के कार्यकाल में देश का चहुँमुखी विकास हुआ है। सदगुरु देव ने काशी के धार्मिक एवं ढांचागत विकास का विशेष उल्लेख करते हुए स्वर्वेद महामन्दिर के पूर्ण होने पर उसके उद्घाटन हेतु पुनः पधारने का उन्हें निमंत्रण भी दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कल ही काशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन हुआ और आज प्रधानमंत्री जी महामन्दिर पर आए हैं। आजादी के उन दीवानों के प्रति जिन्होंने भारत की स्वाधीनता के लिए सबकुछ न्यौछावर कर दिया था, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए अमृत महोत्सव पूरे देश में चल रहे हैं। उन्होने कहा कि विहंगम योग का यह वार्षिकोत्सव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि योग स्वयं से सारे ज्ञान को समेटे हुए है।

पीएम ने आजादी में विहंगम योग के योगदान को सराहा

सत्र के अन्त में प्रधानमंत्री जी का उद्गार हुआ जिसमें उन्होने कहा कि जब भी देश में समय विपरीत होता है, कोई महात्मा अवतरित होते हैं। भारत ही है जहाँ एक आध्यात्मिक संस्था देश की आजादी का महोत्सव मना रही है। परन्तु हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनगाथा वैसे दर्ज नहीं की गई जैसी की जानी चाहिए थी। आजादी का अमृत महोत्सव नई पीढ़ी को उन महापुरुषों के योगदान से परिचित करा रहा है। विहंगम योग भी उसमें प्रमुख भूमिका निभा रहा है। स्वर्वेद महामन्दिर धाम के लिए उन्होने कहा कि यहाँ एक भव्य आध्यात्मिक भूमि का निर्माण हो रहा है, जब ये पूर्ण हो जाएगा तो न सिर्फ काशी के लिए बल्कि पूरे देश के लिए नजराना बन जाएगा। उन्होने कहा कि अपनी परंपराओं के ज्ञान दर्शन का विस्तार आज समय की मांग है। काशी जैसे सांस्कृतिक केन्द्र इसके माध्यम बन सकते हैं।
पीएम ने स्वर्वेद का एक दोहा उधृत किया

दया करे सब जीव पर, नीच ऊँच नहिं जान।
देखे अंतर आतमा, त्याग देह अभिमान।।

उन्होने यह भी कहा कि योग का संदेश जन-जन तक पहुँचे और भारत की योग शक्ति पूरे विश्व में स्थापित हो। स्वराज के साथ साथ सुराज भी आवश्यक है। आज आप लाखों लोग उपस्थित हैं। जब आप काशी से जाएंगे तो कितना कुछ लेकर जाएंगे। लेकिन आप जब पहले आते थे तो यहाँ की स्थिति बदहाल थी। आज एयरपोर्ट से आते ही सबकुछ बदला-बदला लगता है। रिंगरोड है, सड़कें चौड़ी हुई हैं। लाखों लीटर सीवेज साफ हो रहा है। स्वास्थ्य सुविधा एवं इंफ्रास्ट्रक्चर में बनारण अग्रणी हो चुका है। इस विकास का लाभ स्थानीय नागरिकों के अलावा दर्शनार्थियों को भी हो रहा है।

गोधन को देश के कृषि विकास से जोड़ें

उन्होने गौसेवा पर बल देते हुए कहा कि हमारा गोधन हमारे किसानों के लिए केवल दूध का ही स्रोत न हो बल्कि अन्य अनेक गौ-उत्पादों से जैविक खेती द्वारा पर्यावरण की रक्षा भी हो। 16 दिसंबर को जीरो बजट नैचुरल फार्मिंग पर बड़ा अधिवेशन हो रहा है। सभी इसका भाग बनें और सबको बतलाएँ।

प्रधानमंत्री जी ने कराए 5 संकल्प:-

  • गरीब बेटियों के स्किल डेवलपमेंट में सहयोग
  • पानी बचाओ और गंगा स्वच्छता
  • प्राकृतिक खेती
  • अपने आसपास सफाई स्वच्छता पर ध्यान देना है
  • परमात्मा के नाम से प्रतिदिन कोई ऐसा काम जिसका समाज को लाभ हो।

समापन के पश्चात् जयकारों के बीच सभी अतिथि लगभग 4ः45 बजे वापस रवाना हुए। विहंगम योग का कार्यक्रम 15 दिसंबर को 5101 कुण्डीय वैदिक महायज्ञ, सन्त प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज द्वारा स्वर्वेद सत्संग अमृत एवं सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्रदेव जी महाराज की अमृतवाणी के साथ समाप्त होगा।

 

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