बिहार चुनाव जीतने के बाद धन्यवाद बिहार कार्यक्रम में पीएम मोदी ने एक बात कही कि नड्डा जी आगे बढ़ो, हमलोग आपके साथ हैं और मोदी ने यह बात तीन बार दुहराई। मोदी द्वारा ऐसा कहने के बाद इस बात की चर्चा तेज है कि आखिर मोदी ने इस तरह की बात क्यों कही?
मोदी के इस बयान का मतलब समझने के लिए सबसे पहले भाजपा के उस कार्यकाल का जिक्र करना आवश्यक है, जब पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी हुआ करते थे, तो उस समय भाजपा शिथिल पड़ गई थी और कार्यशैली भी लुटियंस जोन जैसा हो गया था। इसलिए विचार परिवार ने भाजपा को गतिमान करने के लिए एक ओजस्वी और संग़ठन की महत्वता को समझने वाले नितिन गडकरी को अध्यक्ष बनाया था। लेकिन, उस समय लुटियंस जोन की शैली में राजनीति करने वालों का प्रभाव बरक़रार रहे इसलिए उनलोगों ने नितिन गडकरी को कमजोर करने में जुट गए। और गडकरी को अंततः अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। बता दें कि गडकरी के कार्यकाल में ही नड्डा राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में सक्रीय हुए थे।
नड्डा जी आगे बढ़ो, हमलोग आपके साथ हैं
अब आते हैं कल के बयान पर आखिर मोदी ने क्यों कहा कि नड्डा जी आगे बढ़ो, हमलोग आपके साथ हैं। मोदी ने ऐसा इसलिए कहा। क्योंकि, बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा को गर्त ले जाने की तैयारी अपने लोगों ने ही कर रखी थी। एक विशेष रणनीति के तहत लुटियंस जोन की राजनीतिक शैली को अपनाकर जेपी नड्डा को कमजोर करने की मुहिम चल रही थी।
बिहार में भाजपा को कमजोर कर विपक्ष को मजबूत करने की चाल पार्टी के वरिष्ठ नेता समेत एक दबंग जाति के नेता अपने आकाओं के इशारे पर इस मिशन में जुटे हुए थे। मीडिया मैनेजमेंट से लेकर टिकट का बंटवारा इस तरह किया गया कि भाजपा का कोर वोटर नराज हो गए और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को षड्यंत्र के तहत फेल करने की रणनीति बनाई जाने लगी।
भाजपा के अंदर एक ऐसा ग्रुप काम कर रहा है, जो पार्टी अध्यक्ष का नाम नहीं लेता है। वह लॉबी अपने आका का नाम लेता है और हर बात में अपने आका का नाम लेता है। ताकि सही समय आने पर ख़राब परफॉर्मेंस का हवाला देकर नड्डा को हटाकर एक शीर्ष नेता को मुकुट पहनाया जा सके।
एकांतवास की सलाह
लेकिन, संगठन की क्षमता को समझने वाले प्रधानमंत्री मोदी को इस बात की भनक लग गई थी कि बिहार में संगठन को कमजोर किया जा रहा है। इसके बाद मोदी ने भाजपा को कांग्रेस की शैली में ढालने वाले नेताओं का क्लास लेना शुरू किया और उन्हें चुनाव प्रचार, राजनीति छोड़कर एकांतवास की सलाह दे डाली। इसके बाद डर के मारे उन नेताओं ने मोदी का गुणगान करना शुरू कर दिया और मोदी के संकेत के अनुसार संगठन के स्टाइल में काम करना शुरू कर दिया है।