पटना : बिहार विधानसभा में करीब एक दशक बाद कोई कार्यस्थगन प्रस्ताव मंजूर किया गया, वह भी चमकी बुखार के मुद्दे पर। आलोचनाओं से घिरे सीएम नीतीश कुमार ने आखिर इसपर चुप्पी तोड़ी और विपक्ष की मांग मानते हुए स्वयं सरकार का पक्ष रखने खड़ा हुए। लेकिन अंदाज और तेवर बिल्कुल ही अलग। प्रधानमंत्री मोदी की तरह मुख्यमंत्री ने सदन में चल रही चर्चा को राजनीति के दायरे से निकालते हुए इसे बिहार की सामाजिक-आर्थिक व पर्यारण से जुड़ा मुद्दा बना दिया। आइए जानते हैं कैसे?
चमकी सामाजिक—प्राकृतिक समस्या, सबको लगना होगा
आज सदन में विपक्ष को जवाब देते हुए नीतीश कुमार एक राजनेता से अधिक एक सामाजिक चिंतक के रूप में दिखे। अपने भाषण के क्रम में उन्होंने कहा कि यह केवल सरकार का मामला नहीं हैं, बल्कि पूरे प्रदेश का मामला है। इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिेका महत्वपूर्ण है। यह जागरूकता का मामला है। व्यक्ति-व्यक्ति को जागरूक बनाना होगा। इसमें प्रत्येक एमएलए, एमएलसी को लगना होगा। सदन के बाद बाहर में एक साथ बैठिए। यह प्रकृति पविर्तन का मामला है। आज एक परिवार उजड़ा तो कल दूसरा भी उजड़ सकता है। मैं तीन घंटों तक विशेषज्ञों की राय जानता रहा। कोई भी इस बीमारी का कारण बताने की स्थिति में नहीं था। भीषण गर्मी के कारण यह बीमारी भयंकर रूप लेती है। इससे निबटने के लिए सामाजिक आर्थिक व पर्यावरण संबंधी विस्तृत सर्वेक्षण की आवश्यकता है। सरकार ने यह काम शुरू करा दिया है।
जागरूकता और इलाज, दोनों पर देना होगा ध्यान
मुख्यमंत्री का भाषण लंबा होने के कारण भोजनावकाश का समय हो गया। भोजनावकाश का संकेत मिलने के बाद मुख्यमंत्री ठहर गए। लेकिन, विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री के भाषण समाप्त होने तक सदन की कार्यवाही जारी रखने की व्यवस्था दे दी। मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि इस बीमारी के कारण वे पहली बार मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच गए थे। वहां जाने के बाद मुझे जो दिखा उसके आधार पर मैंने तत्काल उस अस्पताल के विस्तार का आदेश दे दिया। वहां भर्ती बच्चों के परिजनों से बात कर इस बीमारी के कारणों के बारे में जानने का प्रयास किया। मुझे लगता है कि इस प्रकार की समस्याएं प्रकृति के कड़े रूख के कारण सामने आ रही हैं। इसके लिए जमीनी स्तर पर जागरूकता की आवश्यकता है। भयंकर सूखे की आशंका है। इस बात पर भी सोचना होगा।
संसाधनों की बर्बादी रोकने को लोग प्रेरित हों
सीएम ने कहा कि हमने शुद्ध पानी घर-घर देने का प्रयास किया तो उस पानी से लोग भैंस धो ले रहे हैं। पानी की बर्बादी रोकने के लिए जागरूकता ही एक उपाय है। बिहार में भी पानी की कमी से जूझने की हालत बन रही है। असाधारण सामाजिक समस्याओं पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने की परंपरा रही है। इसके पूर्व बाढ़ की भयावह स्थिति पर बिहार विधानसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया गया था। मुख्यमंत्री के पहली बार एसकेएमसीएच जाने की बात पर राजद नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी ने एक शेर के माध्यम से चुटकी ली। भोजनावकाश के समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा स्थित अपने कक्ष में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत भी की। वे विचारों का आदान-प्रदान करते दिखे। राजनीतिज्ञ से अधिक एक सामाजिक चिंतक की तरह।