पीएम मोदी के लिए कैसा रहेगा जो बाइडन का अमेरिकी राष्ट्रपति बनना? 5 प्वाइंट्स में जानें

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नयी दिल्ली : जो बाइडन अमेरिकी राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित किये गये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बाइडन की जीत को शानदार बताते हुए उन्हें ट्विटर पर बधाई संदेश भेजा है। श्री मोदी ने उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हुईं भारतीय मूल की कमला हैरिस को भी बधाई देते हुए यहां तमिलनाडु से जुड़ी उनकी यादों को भी साझा किया।
पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा—’आपकी कामयाबी बेहतरीन है। आपकी जीत से न केवल भारत स्थित आपके रिश्तेदार गौरवान्वित हैं बल्कि सभी भारतीय-अमेरिकी नागरिकों के लिए गौरव का पल है’। लेकिन भारत में इस बात पर चर्चा हो रही है कि अमेरिका में नये बाइडन प्रशासन के साथ पीएम मोदी और भारत के कैसे रिश्ते रहेंगे।

पुराने ढर्रे की उम्मीद लेकिन चीन पर बदलाव संभव

कहा जा रहा है कि भारत और अमेरिका अहम साझेदार हैं ऐसे में सरकार बदलने से भारत के साथ रिश्तों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। लेकिन बतौर राष्‍ट्रपति बाइडेन पुराने राष्‍ट्रपतियों की राह पर ही चलेंगे या कोई नई लकीर खींचेंगे, यह देखने वाली बात होगी। भारत के लिहाज से देखें तो कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां वे वर्तमान राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के ढर्रे पर चलेंगे। कुछ में वे बदलाव कर सकते हैं। 21वीं सदी में भारत और अमेरिका के रक्षा, रणनीतिक और सुरक्षा संबंध मजबूत हुए हैं, फिर राष्‍ट्रपति की कुर्सी पर चाहे रिपब्लिकन बैठा रहा हो या डेमोक्रेट। यही ट्रेंड बाइडेन प्रशासन में भी बरकरार रहने के आसार हैं। लेकिन चीन को लेकर बाइडेन कैंप में भी दो धड़े हैं, जिसका असर भारत पर पड़ सकता है।

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बाइडन ने कश्मीर और सीएए पर जताई थी चिंता

हालांकि बाइडन ने अपने चुनावी कैंपेन में कश्मीर और सीएए को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी। उन्होंने चुनावी कैंपेन के दौरान अपना पॉलिसी पेपर जारी किया था जिसमें सीएए और कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई थी। जो बाइडन की कैंपेन वेबसाइट पर प्रकाशित एक पॉलिसी पेपर में कहा गया था कि भारत में धर्मनिरपेक्षता और बहु-नस्ली के साथ बहु-धार्मिक लोकतंत्र की पुरानी पंरपरा है। ऐसे में भारत सरकार के सीएए और कश्मीर संबंधी फ़ैसले बिल्कुल ही उलट हैं। कश्मीर लोगों के अधिकारों को बहाल करने के लिए भारत को चाहिए कि वो हर क़दम उठाए। असहमति पर पाबंदी, शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकना, इंटरनेट सेवा बंद करना या धीमा करना लोकतंत्र को कमज़ोर करना है।

नीतियों में कमला हैरिस की होगी बड़ी भूमिका

लेकिन भारत में अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि जो बाइडेन के साथ कमला हैरिस भी हैं जो उप-राष्‍ट्रपति होंगी। वह नीतिगत मामलों में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं क्‍योंकि बाइडेन इशारा कर चुके हैं कि वह एक कार्यकाल के लिए ही राष्‍ट्रपति रहेंगे। हैरिस 2024 के लिए राष्‍ट्रपति उम्‍मीदवार हो सकती हैं, ऐसे में विभिन्‍न मुद्दों पर उनकी राय बहुत महत्‍वपूर्ण हो जाती है। कमला हैरिस बाइडेन सरकार में नीतियां बनाते समय अपने भारतीय जड़ों और 2024 के आगले चुनाव में अपनी उम्मीदवारी तथा राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं को भी जरूर ध्यान में रखेंगी। बाइडेन ने अपने चुनाव प्रसार के दौरान भारतीय-अमेरिकियों से संपर्क किया है। वह भारत के लिए उदार सोच रखते हैं। चूंकि अमेरिका और भारत के रिश्‍ते अब संस्‍थागत हो चले हैं, ऐसे में उसमें बदलाव कर पाना मुश्किल होगा। बाइडेन के प्रमुख रणनीतिकार एंथनी ब्लिंकेन कह चुके हैं कि ‘हम एक जैसी वैश्विक चुनौतियों से बिना भारत को साथ लिए नहीं निपट सकते। भारत के साथ रिश्‍तों को मजबूत और गहरा करना हमारी उच्‍च प्राथमिकता में रहने वाला है’।

इन बातों पर भारत को रहना होगा ज्याद सतर्क

टीम बाइडेन में चीन को लेकर मतभेद हैं। इसका असर भारत-अमेरिका और भारत-चीन के रिश्‍तों पर भी देखने को मिलेगा। बाइडेन के कुछ सलाहकारों ने चीन को लेकर ट्रंप जैसी राय रखी है। बाकी कहते हैं कि अमेरिकी और चीनी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को अलग करना नामुमकिन है, ऐसे में राष्‍ट्रीय सुरक्षा और क्रिटिकल टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में अलगाव हो सकता है, इससे ज्‍यादा कुछ नहीं। लेकिन बाइडेन कैम्‍पेन में इंडो-पैसिफिक को लेकर रणनीति साफ नहीं की गई है। चूंकि यह इलाका भारतीय विदेश नीति के केंद्र में है, इसलिए इसपर नजर रखनी ही पड़ेगी।
इसके अलावा भारत और अमेरिका के व्‍यापारिक रिश्‍तों में परेशानी उभरने की संभावना है। बाइडेन प्रशासन में भी भारत को व्‍यापार में कोई खास छूट मिलने के आसार नहीं हैं। साथ ही भारत को मानवाधिकार के मुद्दे पर भी बाइडेन प्रशासन से सतर्क रहना होगा। बाइडेन सरकार डेमोक्रेट्स से भरी अमेरिकी कांग्रेस में भारत के खिलाफ ऐसी चीजों पर सख्त हो सकती है।

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