संसद में समर्थन और सूबे में विरोध
कोर्ट का फैसला बदल सकती है बिहार की राजनीति
जद-यू की रणनीति में तब्दीली आने वाली है। महज प्रतीक्षा है सीएए में कोर्ट की प्रतीक्षा की। इस बात का खुलासा आज खुद जद-यू के नेशनल वाईस प्रेसिडेंट प्रशांत किशोर ने किया कि उनकी पार्टी सीएए पर कोर्ट के अनुकूल निर्णय की प्रतीक्षा कर रही है। निर्णय आते पार्टी रणनीति में अंतर आएगा। प्रशांत किशोर कहते हैं कि एनआरसी पर चर्चा अभी गौण है। हालांकि आने वाले दिनों में यह देशव्यापी राजनीति का केन्द्र जरूर बनेगा।
सीएए पर फैसला आते ही बिहार की राजनीति में करवट आएगा। दरअसल, जद-यू के भीतर सीएए और एनआरसी के हो रहे विरोध के आलोक में पार्टी ने वेट एण्ड वाच की स्थिति में आगामी पाॅलिटिक्स की बिसात बिछाना चाहती है। एक कारण यह भी है कि पार्टी के कुछ विधायकों ने सीएए का विरोध करते हुए नीतीश कुमार के स्टैंड के बारे में पूछ दिया था। हालांकि संसद में नीतीश की पार्टी ने सीएए का समर्थन करते हुए भाजपा के साथ स्वर दिया था। लेकिन, बाद के दिनों में राज्य की जनता और अपने नेताओं को देखते हुए नीतीश कुमार तटस्थ-से हो गये थे।
इस बीच प्रशांत किशोर ने सीएए का खुल कर विरोध करते हुए पार्टी को एक बार सोचने पर विवश कर दिया। हालांकि पीके का पार्टी के भीतर ही विरोध भी हुआ। पर, उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी। इधर, बिहार में सीएए और एनआरसी के मंद हो रही बयार के बीच पीके के सीएए पर बयान ने नया ईंधन भर दिया है। वे आगे कहते हैं कि बिहार में एनआरसी का विरोध होता रहेगा। खास कर, उनकी पार्टी इसका विरोध करती रहेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर भी एक सर्वमान्य राय है कि सीएए पार्टी के सिद्वाान्तों के लिए उपयुक्त नहीं है।