पीके की पॉलिटिकल कहानी – 4

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जदयू ने 29 जनवरी 2020 को अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और पार्टी के महासचिव सह प्रवक्ता पवन वर्मा को पार्टी से निकाल दिया। पटना में हुई जदयू पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को बाहर का रास्ता दिखाया गया। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने पत्र जारी कर जानकारी देते हुए कहा कि ये दोनों नेता लगातार पार्टी लाइन की खिलाफत कर रहे थे। इसे देखते हुए यह कार्रवाई की गई ।

पार्टी से निकालने का तात्कालिक कारण

इससे पहले 28 जनवरी यानी मंगलवार को चुनावी रणनीतिकार और जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला करते हुए उन्हें कहा था कि ‘आप गिरा हुआ झूठ बोल रहे हैं’। दरअसल नीतीश कुमार ने मंगलवार को पटना में कहा था कि उन्होंने अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल किया था। अब अगर वे जाना चाहते हैं, तो जा सकते हैं। नहीं रहेंगे तो भी ठीक, रहेंगे तो कोई दिक्कत नहीं है।

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हालांकि जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा था कि प्रशांत किशोर ने पार्टी के मुखिया को ‘गिरा हुआ’ कह कर संबोधित कर दिया था, जिसके बाद पार्टी में रहने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। इसलिए पीके पर एक्शन लिया गया। वहीं जदयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि वे राज्यसभा जाना चाहते थे। लेकिन, जब राज्यसभा जाने की मुराद पूरी नहीं हुई तो वे अनर्गल बयानबाजी करने लगे। यह पार्टी के दृष्टिकोण से ठीक नहीं था। लेकिन , असली कारण कुछ और हैं।

कर सकते हैं कांग्रेस के लिए काम

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब कांग्रेस का मैनेजमेंट संभालेंगे, इस बात की चर्चा राजनीतिक गलियारे में जमकर होने लगी है। उनकी बातें कांग्रेस के सीनियर लीडरों से लगातार होती रही हैं। अहमद पटेल और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से उनकी वार्ता हो चुकी है। कुछ शर्तों को लेकर वे अभी चुप हैं। पर, संभव है कि प्रशांत किशोर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से रणनीति बनाने लगेंगे।

कांग्रेस के इशारे पर एनआरसी, सीएए पर बोलते रहे

सूत्र बताते हैं कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस एनआरसी और सीएए के खिलाफ आक्रामक होती रहेगी जिससे उसका अल्पसंख्यक वोटबैंक में बदलता रहे। महागठबंधन के साथ होने की स्थिति में चुनावी खेल रोमांचक भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में पीके ने एक बड़ी चाल चलते हुए जदयू में शामिल होने के बाद भी कांग्रेस के स्वर में आलाप जारी रखा। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि पीके नीतीश कुमार को भी भाजपा गठबंधन से अलग होने कें लिए समझाते रहे। पर, नीतीश कुमार उनकी पैंतरेबाजी को समझते हुए चुप्पी साधे रहे।

जदयू से निकाले जाने के बाद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में प्रशांत किशोर को लपकने के लिए होड़ मच गई है। राजद, कांग्रेस समेत कई दलों ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया है। फरवरी के दूसरे सप्ताह में वे बिहार आकर नया पाॅलिटकल मैनेजमेंट की घोषणा कर सकते हैं। फिलहाल, वे दिल्ली में आप के चुनाव वार-रूम में हैं। आप का राजनीतिक प्रबंधन व रणनीति देख रहे हैं।

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