पीके की नीतीश से मुलाकात के बाद संस्पेंस बरकरार, नीतीश की राजनीतिक पुड़िया नहीं खुल रही किसी से
सीएम मीटींग के बाद कैब और एनआरसी के खिलाफ बोला पीके ने
तीन बार इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं प्रशांत किशोर
पटना : कल देर शाम प्रशांत किशोर की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खास मुलाकात के बाद जद-यू ही नहीं पूरे बिहार की सभी राजनीतिक पाॅलिटिकल पार्टियों में संस्पेंस बरकरार हो गया है। मुख्यमंत्री ने पीके को पार्टी में बने रहने की सलाह देते हुए दो टुक कह दिया कि कोई सीनियर लीडर आपको कुछ कहता है तो कहने दीजिये। मैंने कुछ नहीं कहा न। आप पार्टी में अपने पद पर बने रहिए।
पिछले कई दिनो से कैब और एनआरसी के खिलाफ लगातार बोलने के कारण पार्टी नेताओं ने पीके को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें पार्टी विरोधी बयानों पर तीखी टिपण्णी की थी। रामचन्द्र पसाद ने तो उन्हें अविलम्ब अपने बोल-वचन पर लगाम लगाने की नसीहत दे दी थी। पर, पीके माने नहीं, बोलते रहे।
इधर, पार्टी के सीनियर नेताओं ने सामूहिक रूप से उन पर हमला बोल दिया। हमले से तिलमिलाये नहीं बल्कि शांत-चित से मुख्यमंत्री से करीब आधा घंटा तक वार्ता की। नीतीश कुमार ने उन्हें साफ कर दिया कि कोई बोलता है तो बोलने दें, वे उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। नीतीश कुमार के इस वंक्तब्य के बाद पीके ने फिर मीडिया से बात करते हुए कैब और एनआरसी के खिलाफ बोल दिया।
बहरहाल, प्रशांत किशोर जद-यू के नेताओं से उब कर ही तीन बार अपने इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। पर, नीतीश कुमार ने बराबर उनके इस्तीफे को खारिज करते रहे। वैसे, नीतीश कुमार की पीके के बयान पर रहस्मय चुप्पी से राजनीतिक प्रेक्षक भी परेशान हो गये हैं कि आखिर वह कौन राजनीतिक पुड़िया है जो किसी से खुल ही नहीं रही।
बता दें कि नीतीश कुमार कई बार चुटीले अंदाज में बोल चुके हैं कि उनके पिताजी आयुर्वेदिक वैद्य थे। जब स्कूल से छुटटी होती थी तब वे दवाओं की पुड़िया बनाया करते थे। पुड़िया भी ऐसी बनती थी कि फेंकने पर भी खुलती नहीं थी। शायद उसी तरह की पुड़िया वे राजनीति में भी बना रहे हैं जो न तो जीतन राम मांझी से खुली और न ही लालू प्रसाद यादव से। प्रेक्षक उनकी राजनीतिक पुड़िया को लेकर परेशान हैं।