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पीके के ‘दिव्य ज्ञान’ ने उद्धव को डुबोया! बिहार एनडीए किसे मान रहा दोषी?

पटना/मुंबई : महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है। लेकिन इस नौबत के लिए मुंबई से लेकर बिहार तक सियासी उबाल मचा हुआ है। उद्धव ठाकरे ने बिहार में नीतश को भाजपा द्वारा सीएम कबूल करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए महाराष्ट्र में भी इसी फार्मूले को दरकिनार करने का आरोप लगाया। वहीं, भाजपा ने जदयू नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से शिवसेना को मिले ज्ञान को हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा के अनुसार पीके ने उद्धव को महाराष्ट्र में शिवसेना सीएम का सब्ज बाग दिखाया था। इधर केसी त्यागी, श्याम रजक, अशोक चौधरी समेेत जदयू के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने सीधे—सीधे शिवसेना को गठबंधन तोड़ने का दोषी बताया। वहीं जदयू के ​ही अजय आलोक ने प्रशांत किशोर को सरे वाकये का ‘रिंग मास्टर’ करार दिया।

भाजपा नेत्री ने प्रशांत किशोर पर साधा निशाना

भाजपा महिला मोर्चा की नेता व सोशल मीडिया विंग की राष्‍ट्रीय प्रभारी प्रीती गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा कि प्रशांत किशोर ​शिवसेना को ले डूबे। बकौल भाजपा नेता प्रशांत किशोर ने शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे को सीएम बनने का सपना दिखाया था। इसी कारण शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले के तहत सीएम पद की मांग रखी और 30 वर्ष पुराना गठबंधन तोड़ दिया।

भाजपा—जदयू ने शिवसेना पर फोड़ा ठीकरा

इधर इस मामले में बिहार भाजपा अध्‍यक्ष ने कहा कि एनडीए में सभी दल अपने चुनावी घोषणा पत्र का पालन करते हैं। जहां तक गठबंधन की बात है, न्‍यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत हम एक हैं। वहीं उद्धव ठाकरे के बयान पर जदयू के राष्‍ट्रीय महासचिव केसी त्‍यागी और पार्टी के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने शिवसेना के एनडीए से बाहर जाने को दुर्भायपूर्ण बताया। श्‍याम रजक ने कहा कि एनडीए में जेडीयू का न्‍यूतम साझा कार्यक्रम के तहत समझौता है। वहीं नीतीश के करीबी जदयू के मंत्री अशोक चौधरी ने शिवसेना पर हमला करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आई।

अजय आलोक ने उड़ाई प्रशांत किशोर की खिल्ली

दूसरी ओर जदयू के ही एक और नेता अजय आलोक ने शिवसेना को बरगलाने के लिए सीधे—सीधे प्रशांत किशोर को जिम्मेदार ठहराया। प्रशांत किशोर का नाम लिए बिना उन्‍होंने लिखा है कि शिवसेना एक मास्टर स्ट्रैटेजिस्ट (प्रशांत किशोर) से पिछले कुछ दिनों से ज्ञान ले रही थी। इसी का नतीजा हम सब आज देख रहे हैं। राष्‍ट्रपति ने संभावित खरीद—फरोख्त को देखते हुए किसी को भी और समय नहीं दिया। लगता है इस पहलू पर मास्टर साहब (प्रशांत किशाेर) ने ध्यान नहीं दिया होगा। नतीजा न तीन में न तेरह में। गफलत में सब गए। प्रशांत किशोर पर हमलावर अजय आलोक उनका नाम लिए बिना आगे लिखते हैं- ”माया मिली न राम, जय मातर साब।”