पीके बिहार में राजनीति करेंगे नहीं, करने लगे हैं

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पटना : प्रशांत किशोर बिहार में ही राजनीति करेंगे। करेंगे नहीं करने लगे हैं। पर, उनकी पार्टी धर्मनिरपेक्ष होगी। भाजपा गठबंधन की तरह नहीं। यह साफ हो गया है-आज की प्रेस कांफ्रेंस में। हालांकि संस्कार वश उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पितातुल्य बताते हुए उनकी शिकायत नहीं की, बल्कि विकास माॅडल को उपयुक्त नहीं बताया।

बहरहाल, प्रेक्षकों का कहना है कि उन्होंने बिहार में राजनीति नहीं करने का मूड बना लिया है। पर, सच तो यह है कि वे बिहार में राजनीति करने लगे हैं। अगर वे राजनीति नहीं कर रहे तो आज प्रेस कांफेंस करने की जरूरत ही नहीं थी।

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2030 है टारगेट, तबतक नई पीढ़ी आ जाएगी

सूत्रों ने बताया कि वे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से कई बार मिल चुके हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंद्र सिंह से उनकी वार्ता निरंतर हो रही है। कहा तो ऐसा भी जाता है कि पीके 2020 नहीं, बल्कि 2030 को टारगेट कर बिहार में अपना लक्ष्य भेदेंगे। तबतक बिहार के कई दिग्गज यथा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और उनके समकालीन नेताओं का समय पूरा हो गया रहेगा।
बिहारी युवाओं को साधने का बड़ा मकसद

पीके ने यूथ इन पाॅलिटिक्स कार्यक्रम के तहत बिहार की धड़कती युवा राजनीति की नब्ज पर हाथ रख दिया है। दिलचस्प तो यह कि पीके एक सफल बिजनेस मैन की तरह देश स्तर पर पाॅलिटिकल मैनेजमेंट कर रहे हैं, दूसरी ओर बिहार की राजनीति में गहरी रूचि भी रख रहे। इससे इतर, लेकिन बड़ी बात यह कि मैनेजमेंट में कभी फेल नहीं रहे। चाहे हालिया दिल्ली में आप का चुनाव हो अथवा बंगाल में ममता बनर्जी का। इसके पहले नरेन्द्र मोदी का हो अथवा बिहार में जदयू का।

इस वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव है। अभी तक फ्रंट में आकर उन्होंने अपना पाॅलिटिकल पत्ता नहीं खोला है। पर, दिग्गजों का कहना है कि उन्होंने यहां की राजनीतिक नब्ज को टटोलते हुए राजनीति शुरू कर दी है।

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