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पिछलग्गू नहीं रही कांग्रेस, विस सत्र में दिखी धमक

पटना: प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के लगातार अज्ञातवास के बीच आज शुरू हुए बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र में विपक्ष बिलकुल ही दंतहीन दिखा। ऐसे में जहां कांग्रेस ने मोर्चा संभालते हुए राजद से अलग अस्तित्व दिखाया, वहीं राजद अभी भी लोकसभा चुनाव के सदमे से बाहर आता नहीं जान पड़ा। कांग्रेस नेता डा. शकील अहमद खान ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब उनकी पार्टी राजद की पिछलग्गू नहीं रहेगी। इस दौरान कांग्रेस ने चमकी बुखार को लेकर सदन के अंदर और बाहर आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया।

राजद को पीछे छोड़ कांग्रेस ने सदन में संभाला मोर्चा

बगैर राजद, नीतीश सरकार को चमकी बुखार के मुद्दे पर घेरते हुए कांग्रेस नेता डा. शकील अहमद खान ने कहा कि जिसको हमारे साथ आना है, आये। हम निकल चुके हैं। आज शुरू हुए विधानमंडल सत्र की खास बात यह रही कि एक तरफ राजद अपने नेता तेजस्वी यादव का इंतजार करता रहा, वहीं कांग्रेस ने सरकार को घेर लिया। मानसून सत्र की एक और खासियत यह रही कि इसके लिए विपक्ष के पास मुद्दों की तो भरमार है, लेकिन तेजस्वी के लगातार बिहार से गायब रहने ने सदन में विपक्षी एकता की धार को कुंद कर दिया।

कांग्रेस तलाश रही बड़ी भूमिका

कांग्रेस में काफी पहले से राजद का पिछलग्गू होने का कलंक मिटाने की बेताबी पनपने लगी थी। 29 मई को कांग्रेस जिस तरह महागठबंधन की समीक्षा बैठक नदारद रही, उससे जाहिर हो गया था कि बिहार में वह अपनी स्वतंत्र भूमिका में आना चाहती है। मौजूदा सत्र के दौरान यही बात आज भी देखने को भी मिली। यही कारण रहा कि आज कांग्रेस ने कई मुद्दों को उठाने की पहल की और राजद समेत सारा विपक्ष उसके पीछे चलता दिखा। बिहार विधान सभा में विपक्ष के नाम पर महज तीन दल ही बचे हैं-राजद, कांग्रेस और भाकपा माले। आरएलएसपी के दोनों विधायक आज सत्तारूढ़ जदयू सदस्यों की कतार में बैठे।

प्रमुख मुद्दे जिनपर देना चाहिए ध्यान

मौजूदा बिहार में कई ऐसे मुद्दे हैं, जो जनता से सीधे-सीधे जुड़े हैं। मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला, सरकारी अस्पतालों का हाल, बढ़ता अपराध, नियोजित शिक्षकों का समान काम के लिए समान वेतन और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जैसे कई मुद्दे हैं जिसपर सरकार को एकजुट विपक्ष घेर सकता है। लेकिन सवाल यही है कि नेता प्रतिपक्ष गायब हैं। ऐसे में सवाल यही उठता है कि वपक्ष अपनी जिम्मेदारी कितना निभा पाता है, यह देखने वाली बात होगी।