फिर खुलेंगे आतंक के दौर में बंद किए गए JK के 1000 मंदिर

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नयी दिल्ली : पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के कारण जम्मू-कश्मीर से पंडितों एवं हिंदुओं के पलायन के कारण हजारों मंदिर बंद हो गए थे। मंदिरों की सम्पति लूट ली गई थी एवं भवन व जमीन पर उपद्रवियों ने कब्जा कर लिया था। केंद्र सरकार से उन मंदिरों को बचाने की गुहार कश्मीर के हिंदू पिछले तीस वर्षों से करते आ रहे थे। लेकिन इसपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। वर्तमान की मोदी सरकार कश्मीर के ऐसे मंदिरों की मर्यादा पुनर्स्थापित कराने का निर्णय लिया है। कश्मीर में आतंकियां द्वारा बंद कराए गए छोटे-बड़े मंदिरों की संख्या 40 से 50 हजार के बीच हो सकती है।

अकेले अनंतनाग में हजार वर्ष पुराने सात सौ मंदिर

जम्मू-कश्मीर की समस्या को लेकर कार्य करने वाली संस्थाओं ने जम्मू कश्मीर क्षेत्र में ध्वस्त किए गए मंदिरों का सर्वेक्षण कराया था। उस सर्वेक्षण के अनुसार घाटी का कोई भी गांव ऐसा नहीं था जहां शारदा, शिव के दो तीन मंदिर नहीं थे। सबसे ज्यादा अनंत नाग क्षेत्र में शारदा ओर विष्णु के सात सौ से अधिक हजार वर्ष तक पुराने प्राचीन मंदिर थे। उनमें से आज कुछ मंदिर ही बचे हुए हैं। वहीं अधिकांश मंदिरों का स्वरूप बदल दिया गया है। लेकिन, कश्मीर के पुराने दस्तावेजों में उनका वर्णन है।

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केंद्र ने किया व्यापक सर्वे का निर्णय

वर्ष 2014 में जब पहली बार देश में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी तब उन मंदिरों की मर्यादा बहाल करने की मांग उठी। लेकिन, उस समय कुछ विशेष नहीं हो सका था। वैसे मंदिरों के बारे में जानकारियां एकत्रित की गईं। दूसरी बार बनी मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में वर्षों से बंद करीब हजार मंदिरों के कपाट फिर से खुलवाने का निर्णय लिया है। केंद्र की सरकार ऐसे पुराने मंदिरों की खोज के लिए एक व्यापक सर्वे कराने जा रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस जानकारी की पुष्टि की है।

केंद्रीय मंत्री ने बंद हजारों स्कूलों का भी लिया संज्ञान

रेड्डी ने कहा कि कश्मीर में मंदिरों व मूर्तियां के तोड़े जाने की शिकायत प्रथम दृष्टया सही मिली हैं। इतना ही नहीं, आतंकियों ने घाटी में हजारों स्कूलों को भी बंद करा दिया था। मंदिर के साथ ही ऐसे विद्यालय भी फिर से शुरू होंगे। इसके लिए स्थल की वर्तमान स्थिति के साथ सर्वे कराया जा रहा है। श्री रेड्डी ने कहा कि दशकों तक घाटी में आतंकवाद के कारण कश्मीरी पंडितों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा।

आतंकियों ने बड़ी तादाद में कश्मीरी पंडितों का नरसंहार भी किया था। इसके बाद वहां के मंदिरों में तोड़फोड़ हुई और उनके द्वार बंद कर दिए गए। यह कटु सत्य है जिसे कोई नकार नहीं सकता। हम ऐसे ही मंदिरों का सर्वेक्षण कराने जा रहे हैं। हमारी सरकार घाटी से नफरत व आतंक को जड़ से खत्म करके रहेगी।

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