पटना में दबोचा गया एके-47 मामले का मास्टर माइंड

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पटना : मुंगेर में नदी—नालों को एके—47 उगलने के लिए मजबूर कर देने वाले मास्टरमाइंड मंजर आलम को पटना पुलिस ने बुद्धा कॉलोनी के एक घर से धर दबोचा है। मंजर आलम जबलपुर-मुंगेर एके-47 तस्करी मामले में मुख्‍य आरोपी है। उसके पास से पटना पुलिस ने मुंगेर निर्मित एक पिस्तौल भी जब्त की है।

गिरफ्तारी के बाद एसएसपी खुद मंजर से पूछताछ कर रहे हैं। मंजर एके-47 मामले का मास्टरमाइंड है। कुछ दिन पूर्व उसका साला मोनाजिर हज़ारीबाग़ से पकड़ा गया था। वह नक्सलियों को एके-47 सप्लाई करता था। मुगेर पुलिस भी पटना पुलिस के संपर्क में है। मंजर से बाकी करीब 70 एके राइफलों के बारे में पुलिस पूछताछ कर रही है।

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गौरतलब है कि गुप्त सूचना के आधार पर मुंगेर पुलिस की टीम ने अब तक बरदह गांव के एक कुएं से 12 और एक खेत की खुदाई कर कुल 20 एके-47 बरामद की हैं। अब भी करीब 70 एके—47 बिहार में यहां—वहां छिपाकर रखे होने की बात पुलिस कह रही है।

मामले का कैसे हुआ खुलासा?

जब 29 अगस्त को जमालपुर रेलवे स्टेशन के बाहर मोहम्मद इमरान को संदिग्ध अवस्था में दो बाइक सवार जवानों ने पकड़ा, तब तक कतई ये अंदेशा नहीं था कि ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो जाएगा। इमरान के सूटकेस से तीन एके-47 मिले और उसके बाद मामला परत दर परत उजागर होता गया।

जबलपुर आर्डिनेंस डिपो से 2012 से 2018 के बीच 100 से ज्यादा एके 47 रायफल गायब किए गए। इसमें वहां से रिटायर पुरुषोत्तम रजक और ऑर्डनेंस डिपो के सिविल कर्मचारी सुरेश ठाकुर की मिलीभगत ने अहम भूमिका निभाई। पुरुषोत्तम अपनी पत्नी चंद्रावती के साथ एके-47 जमालपुर स्टेशन लाता था और यहां से मुंगेर सिंडिकेट उसे रिसीव करता था। जबलपुर पुलिस पुरुषोत्तम, चंद्रावती और सुरेश को गिरफ्तार कर चुकी है। मुंगेर से इमरान की निशानदेही के बाद शमसेर के पास से तीन एके 47 मिली। मामले की संवेदनशीलता तब सामने आई, जब शमसेर के भाई और भारतीय सेना के जवान रियाजुल की भूमिका भी इसमें सामने आई और उसे बागडोगरा कैंप से गिरफ्तार किया गया।

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