पटना : पूरे पटना शहर में छठ की छटा छाई हुई है। गली—गली में छठी मैया के गीत बज रहे हैं।छठ व्रतियों को तकलीफ न हो इसके लिए सरकार के बड़े—बड़े पदाधिकारी सुरक्षा इंतज़ाम में मुस्तैद हैं। पटना के घाटों का नज़ारा ही बदल गया है। बड़ी संख्या में लोग घाटों की ओर रुख कर कर रहे हैं। इसमें बच्चे, बुज़ुर्ग और महिलाएं सभी शामिल हैं। उन्हें किसी तरह की तकलीफ न हो इसके लिए जिला प्रशासन दिन—रात एक किये हुए है। कुछ लोग जो घाटों तक नहीं जा सकेंगे सरकार ने उनकी सुविधाओं का भी ख्याल रखते हुए पटना नगर निगम और स्थानीय लोगों के सहयोग से मोहल्लों और पार्को में भी घाटों का निर्माण करवाया है।
जैसे एजी कॉलोनी, इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, राजवंशी नगर, पटना चिड़ियाखाना। लेकिन पटना शहर के पूर्वी भाग यानी पटना सिटी का जायजा लेने पर पता चला कि पटना सिटी के मोहल्ले गंगा घाट के किनारे होने के चलते इधर के लोग घाटों पर जाकर ही छठ मनाना श्रेयस्कर समझते हैं। चौक इलाके के एक युवक ने बताया कि पटना सिटी के मोहल्ले और शहर के दूसरे इलाके में ज़मीन आसमान का अंतर है। पटना सिटी का मोहल्ला बहुत पुराना है और इसकी बनावट कुछ इस तरह की है कि ज़्यादातर लोग घाट पर जाना पसंद करते हैं। वहीं सिटी के मशहूर सामाजिक कार्यकता संजीव यादव ने बताया कि चाहे वो गायघाट की बात हो या गुरुद्वारा कंगन रोड की बात हो या खाजेकलां की बात, सारा मोहल्ला गंगा घाट के करीब बसे होने की वजह से मोहल्लों में घाटों को नहीं बनाया जाता है। हालांकि मंगल तालाब में व्यक्तिगत प्रयास से 2-3 वर्षों तक छठ पूजा का आयोजन किया गया, पर गंदगी ज्यादा होने की वजह से हमलोगों ने छोड़ दिया और अब घाट पर ही लोगों की सेवा करते हैं। खाजेकलां के एक व्यापारी ने बताया कि छठ पर्व आस्था का पर्व है और इसे घाट पर ही मनाया जाना चाहिए।
मानस दुबे
Swatva Samachar
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