पटना : भारतीय संस्कृति में प्रत्येक सुहागिन के लिए उसके सुहाग से बढ़कर और कोई नहीं होता। उनके लिए पति ही परमेश्वर होता है। हमारी परंपराएं जीवन के विभिन्न मर्यादाओं को सांस्कृतिक स्वरूप प्रदान करती हैं। ऐसी ही एक परंपरा करवाचौथ की है जो पति—पत्नी के रिश्ते को एक अलग ही ऊंचाई पर ले जाता है।
इसबार करवाचौथ शनिवार 27 अक्टूबर को है। यह पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मानाया जाता है। इस दिन सभी स्त्रिायां अपने पति के दीघार्यु व प्रेम के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। यह व्रत शिव—पार्वती के रिश्ते की भांति ही अखण्ड सुहाग प्राप्त करनेे की कामना से सुहागिनें करती हैं।
पूजन का क्या है विधान
करवाचैथ के दिन सबसे पहले सूर्योदय के पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प करें। इसके बाद सासु मां के द्वारा दी गई सरगी, औढगन ग्रहण करें। सरगी रस्म करने के पश्चात संध्या के समय पूजा प्रारंभ करें। महिलाएं सोलह श्रृंगार करके सर्वप्रथम शिव-परिवार की स्थापना करें। घर में मिट्टी के करवे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। अब करवे में दूध, गुलाब जल व जल मिलाकर रखें। चंद्रमा उदय होने पर चंद्र को अर्ध अर्पित करें। तत्पश्चात करवा की कथा सुनें। उसके बाद छलनी से चंद्र दर्शन करें व एक ओर से पति को देखें। फिर पति का आशीर्वाद लें। अब करवे में श्रृंगार सामग्री ले कर सासु मां को देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार पारण करें।
शुभ पूजा मुहूर्त : 27 अक्टूबर 2018 शनिवार संध्या 5.36 से 6.54 तक पूजन करने हेतु सर्वोत्तम समय है। चंद्र दर्शन 27 अक्टूबर शनिवार रात्री 8 बजे करें।
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