पटना : गांधीजी और मौलाना अबुल कलाम आजाद के विचारों को स्कूली पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा। उनके सिद्धान्त और व्यक्तित्व से प्रेरणा प्राप्त कर सामाजिक सौहार्द बनाया जा सकता है। उक्त बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन पर श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित शिक्षा दिवस कार्यक्रम में कही। इस दौरान उन्होंने जनशिक्षा निदेशालय द्वारा तैयार पुस्तक ‘मानव श्रृंखला—2018’ का विमोचन भी किया।
श्री कुमार ने शिक्षा विभाग से अगले वर्ष तक मौलाना अबुल कलाम आजाद के जीवनी और उनके शिक्षा मंत्री रहने के दौरान किये गए कार्यों की विवेचना करते हुए पुस्तक लिखने की अपील की। महिला सशक्तीकरण पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में नारी-शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई सार्थक प्रयास किये गए। कन्या उत्थान योजना के तहत पोशाक राशि और साईकिल राशि के अलावा मातृत्व लाभ भी दिया गया। इसके अलावा बिहार सरकार ने ग्रेजुएट छात्राओं को 25000 रुपये और इंटर पास छात्राओं को 10000 रुपये देने की एक पहल भी की है।
कार्यक्रम में मौजूद उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यूजीसी, आईआईटी जैसे बड़े संस्थानों की शुरुआत करने वाले देश के पहले शिक्षा मंत्री बहुत बड़े प्रणेता हैं। बिहार सरकार उसी नक़्शे-कदम पर चलते हुए बिहार की शिक्षा व्यवस्था जो 90 के दशक में चरमरा गई थी, उसे सुदृढ़ बनाने का काम कर रही है। नए-नए मेडिकल संस्थान, इंजीनियरिंग संस्थान और प्रशिक्षण संस्थानों की नींव रखी गई है इस सरकार में।
वहीं शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कहा कि बिहार के ही अवकाशप्राप्त डीआरडीओ के वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा जिन्हें मौलाना अबुल कलाम आजाद सम्मान से भी पुरस्कृत किया गया, उनकी यहां मौजूदगी सराहनीय है।
पद्म पुरस्कार सम्मानित मानस बिहारी वर्मा ने शिक्षा में तकनीक और प्रौधोगिकी की भूमिका को अहम बताया। इस मौके पर बिहार सरकार शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव आरके महाजन, मुख्यमंत्री सचिव मनीष वर्मा, सतीश चंद्र झा के अलावा सरकारी स्कूलों के बच्चे भी सम्मिलित हुए।
सत्यम दुबे
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