पटना : आज हम पर्यावरण दिवस मना रहे हैं। आज 5 जून को ईद भी है और आज ही के दिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया गया था। ये बड़े संयोग की बात है। उक्त बातें पटना के ज्ञान भवन में विश्व पर्यावरण दिवस समारोह के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कही। इस समारोह में पर्यावरण संरक्षण में महत्ती भूमिका निभाने वाले कई लोगों, संगठनों, सेना और स्वयं सहायता समूहों को पुरस्कृत किया गया।
सीएम ने उदाहरण देते हुए कहा कि नालंदा जिले के सिलाव के नजदीक एक गांव है भूडी जहां ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर छोटे स्तर पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा मुज़फ्फ़रपुर में भी ये कार्य सघनता से किया जा रहा है। प्लास्टिक के टुकड़ों को मिला कर सड़क को और मजबूत बनाया जा सकता है। कचड़े को अलग-अलग कर उनको रीसाइकल कर और उनका पुनः इस्तेमाल कर इसे बदला जा सकता है। बिहार में मानसून 15 जून तक आ जाता था जबकि अब यह 21-22 जून तक पहुंचता है। वहीं बिहार में औसत वर्षा दर में भी लगातार कमी आ रही है। पिछले वर्ष औसत वर्षा दर 771 मिली मीटर ही रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। इतना ही नहीं गंगा तटीय 12 जिलों में इसके लिए राज्य सरकार की ओर से 8000 रुपये की अनुदान राशि भी दी जा रही है। फसल अपशिष्ट को जलाना भी लगातार फैल रहा है जिससे वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। जब हमारी सरकार आई थी तो ग्रीन कवर मात्र 9 प्रतिशत था जो अब तकरीबन 20-22 हजार पौधे लगाने के बाद यह अब बढ़ कर 15 प्रतिशत तक पहुंचा है। हमारे यहां सामाजिक काम भी खूब होते हैं जो इन समस्याओं को दूर करने में सहायक सिद्ध होते हैं। जीविका समूह इन सबमें सबसे प्रभावी समूह है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जापान दौरे के दौरान उन्हें कही भी कचड़ा देखने को नहीं मिला, हम भी कोशिश करें तो ये क्यों नहीं हो सकता। और जब छठ पूजा के दौरान हो सकता है तो हमेशा क्यों नहीं।
विश्व पर्यावरण दिवस समारोह में अध्यक्षीय भाषण के दौरान सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आज दुनिया ने कोई हमसे पूछे कि सबसे बड़ी चुनौती क्या है। तो जवाब आतंकवाद से भी ज्यादा पर्यावरण संरक्षण की समस्या होगा। धरती काफी तपने लगी है। भारत में चुरू (गंगानगर( में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जा रहा है। विकास की अंधी दौड़ अस्तित्व के खतरे तक ले कर आ गई है। जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा प्रभाव कृषि पड़ता है और भारत के वो तबके ज्यादा प्रभावित होते हैं। वायु प्रदूषण की समस्या पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि बड़ी विडंबना है विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जारी आंकड़ों में बिहार के 3 गंगा जे तट पर बसे शहरों को सबसे ओरदुषित शहरों की सूची में रखा गया है। जिसे हमने चैलेंज किया है। हमारे द्वारा किये गए शोध और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किए आंकड़ें बिल्कुल भिन्न हैं। जो जहरीली गैस हैं उनमें सूक्ष्म धूल के कण रहते हैं ये इतने सूक्ष्म होते हैं इंसान के शरीर के भीतर प्रवेश कर जाते हैं और शारीरिक गतिविधियों को बाधित कर देते हैं। कृषि और ठोस अपशिष्ट को जलाना सबसे ज्यादा खतरनाक है इसके धुएं हवा में मिल कर उसकी गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। कचरे को ढंक कर ले जाना, नए भवन निर्माण कार्य के दौरान हरे पर्दे से ढंका जाना और सीएनजी और बैटरी संचालित वाहनों को बढ़ाया जाना ये सारे कार्य पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। इसके अलावा पटना में मैत्री सेवा की जल्द शुरुआत और इलेक्ट्रिक वाहनों को लांच करने की कोशिश भी की जा रही है।
इस समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के अलावा विभिन्न विभागों के सचिव और पदाधिकारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री सचिव मनीष कुमार, विश्व संगठन के प्रणेता जस्टिन नौगार्ड, सचिव देवेंद्र कुमार शुक्ल, अशोक कुमार घोष, शिव कुमार चौधरी, कर्नल हेमंत परमार भी मौजूद रहे।
सत्यम दुबे