पटना : नवादा से हटाकर बेगूसराय भेजे जाने से खफा भाजपा के फायर ब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को लेकर आज बिहार के सियासी गलियारे में दिनभर अफरा—तफरी का माहौल रहा। खबर उड़ी कि गिरिराज ने इसबार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय कर लिया है। हालांकि मान—मनौव्वल का दौर भी जारी रहा। लेकिन गिरिराज के अपने स्टैंड पर अड़े रहने की खबर मीडिया में आयी। लेकिन शाम होते—होते भाजपा सूत्रों के हवाले से सूचना मिली कि गिरिराज बेगूसराय सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। वे पार्टी के निर्णय का सम्मान करेंगे। यह भी कहा गया कि सीट बदलने को लेकर उनकी नाराजगी स्वाभाविक है, फिर भी वे पार्टी हित में वहीं से चुनाव लड़ेंगे।
दरअसल गिरिराज सिंह ने अपनी सीट बदले जाने के लिए बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय को दोषी ठहराते हुए मीडिया के सामने अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त की थी। एनडीए कोटे से नवादा की सीट लोजपा के खाते में गई है। वहां से सूरजभान सिंह के भाई चंदन कुमार को एनडीए का उम्मीदवार बनाया गया है। गिरिराज ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह चुनाव लड़ेंगे तो सिर्फ और सिर्फ नवादा से। लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने उन्होंने नवादा सीट नहीं देकर बेगूसराय से चुनावी मैदान में उतारे जाने की घोषणा कर दी। इसके लिए उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं को जिम्मेदार ठहराया। मालूम हो कि बेगूसराय सीट पर गिरिराज का मुकाबला सीपीआई के युवा कन्हैया कुमार के साथ है। सूत्रों के अनुसार आज गिरिराज सिंह को बीजेपी के पांच बड़े नेताओं ने मनाने की कोशिश की। अंदरखाने से खबर आ रही है कि अंतत: भाजपा नेता अपनी कोशिश में कामयाब रहे हैं। मालूम हो कि बेगूसराय सीट से कन्हैया कुमार के चुनावी मैदान में आने के बाद अब मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। चूंकि कन्हैया के अलाव बेगूसराय से महागठबंधन भी अपना उम्मीदवार उतार रहा है। ऐसे में गिरिराज सिंह के लिय त्रिकोणिय मुकाबले में बेगूसराय से जीत हासिल करने में कोई मुश्किल नहीं होगी।