चिराग के ‘बंगले’ से बाहर हो सकते हैं पारस, लड़ाई में पड़ रहे कमजोर
पटना : लोक जनशक्ति पार्टी ( लोजपा) में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच उठी सियासी लड़ाई चुनाव आयोग में निलंबित है। वहीं इस बीच मिल रही जानकारी के अनुसार इसको लेकर चुनाव आयोग चिराग के तरफ फैसला सुना सकती है।
मालूम हो की पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में संसदीय दल का नेता चुन लिया गया है। साथ ही पारस ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन कर खुद को लोजपा का अध्यक्ष भी घोषित किया हुआ है। इसके बावजूद चुनाव आयोग से जो खबर सामने आ रही है उसके अनुसार लोजपा अब भी चिराग पासवान की ही है।
चुनाव आयोग के सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार अभी तक पारस गुट की तरफ से लोक जनशक्ति पार्टी पर या फिर लोजपा के चुनाव चिन्ह बंगले पर कोई दावा नहीं किया गया है। ऐसे में चुनाव आयोग लोजपा पर किसी दूसरे गुट की तरफ से बिना दावा किए ही कैसे उसका अधिकार मान सकता है।
वहीं चिराग पासवान चुनाव आयोग से पहले ही मिल चुके हैं और आयोग से गुहार भी लगा चुके हैं कि अगर किसी की तरफ से लोजपा पर दावा किया जाता है तो उसे प्रथम दृष्टया खारिज किया जाए। अगर चुनाव को कोई फैसला भी करना है तो पहले चिराग पासवान का पक्ष सुना जाए।
गौरतलब है कि लोजपा के 6 सांसदों में से 5 ने चिराग पासवान के खिलाफ बगावत कर लोकसभा में संसदीय दल के नेता के तौर पर पशुपति कुमार पारस के चयन का दावा कर दिया था। इसे स्पीकर की भी मंजूरी मिल चुकी है। वहीं, चिराग पासवान ने भी लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाकर पारस गुट के फैसलों को पार्टी विरोधी गतिविधि बताकर खारिज कर दिया है।