पटना : राजधानी पटना में आज मंगलवार से प्रतिमाओं के विसर्जन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन विभिन्न पंडाल कमेटियों के लिए एक काम की खबर है। यदि उन्होंने मां दुर्गा की प्रतिमाओं को गंगा नदी या उसकी किसी भी ट्रिब्यूटरी में विसर्जित किया तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। जो लोग इस नियम का उल्लंघन करेंगे और नदी में विसर्जन करने का प्रयास करेंगे, उन पर एफआईआर दर्ज कर 50 हजार रुपये जुर्माना राशि वसूली जायेगी।
एनजीटी के आदेश पर सक्रिय हुई सरकार
दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने इस संबंध में राज्य सरकार को दिशा निर्देश जारी किये हैं। इसके अनुसार गंगा में मूर्तियां विसर्जित करने वालों पर प्रशासन जुर्माना लगाएगी और उनको बैन कर कार्रवाई भी की जाएगी। एनजीटी के इस आदेश को देखते हुए प्रशासन ने पहले ही विभिन्न पूजा समितियों को आगाह कर दिया है। जिन्हें नहीं मालूम, उन्हें विभिन्न माध्यमों से सूचित किया जा रहा है। पटना शहर में भी विभिनन जगहों पर अधिकारियों व पूजा समिति के सदस्यों की बैठक कर उन्हें ट्रिब्यूनल के आदेश से अवगत कराया गया।
नदियों के निकट बनाए गए विसर्जन तालाब
पटना के सिटी इलाके में भद्र घाट के पास प्रशासन द्वारा दो तालाब बनाए गए हैं। इस क्षेत्र की मूर्तियों का विसर्जन यहीं किया जाएगा। गंगा के किनारे पर बसे अन्य शहरों में भी प्रतिमा विसर्जन के लिए शहर के गंगा घाटों पर अस्थायी तालाब बनवाये जा रहे हैं। मंगलवार को विसर्जन होने के कारण सोमवार को ही इन जगहों पर अस्थायी तालाबों का निर्माण कर लिया गया है।
इस बार ज़िला प्रशासन ने मूर्ति पंडाल आयोजकों को निर्देश दिया है कि मूर्ति गंगा की बजाए बनाए जा रहे तालाबों में विसर्जन किया जाए। प्रशासन के इस निर्देश को आयोजक भी पसंद कर रहे हैं और साथ ही इस बात से ख़ुश भी है की इससे गंगा प्रदूषण मुक्त होगी। एनजीटी के आदेश और लोगों को बदली विसर्जन व्यवस्था की जानकारी देने के लिए शहर के प्रमुख पूजा पंडालों और घाटों की ओर जाने वाले रास्ते में जगह जगह होर्डिंग लगाए गए हैं।