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पद्मश्री डॉ शांति जैन का निधन, राज्य और लोकसाहित्य को अपूरणीय क्षति

पटना : पद्मश्री डॉ शांति जैन का रविवार को हृदय गति रूकने से पटना में निधन हो गया। पद्मश्री शांति जैन का निधन लोहानीपुर स्थित गिरि अपार्टमेंट में हुआ। उनका अंतिम संस्कार पटना स्थित गुलाबी घाट पर हुआ। डॉ शांति जैन आरा के महाजन टोली मोहल्ले की निवासी थीं।

वे आरा के एचडी जैन कॉलेज के संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष रह चुकी थीं। ज्ञातव्य हो कि उन्हें दो साल पहले पद्मश्री का पुरस्कार मिला था। डॉ शांति जैन बिहार गौरव गान की लेखिका, गायिका व जानी मानी साहित्यकार थीं। 70 के दशक में वे रेडियो पर मानस पाठ करती थी, जो कि उस समय काफी लोकप्रिय हुआ था।

पद्मश्री डॉ शांति जैन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा ने कहा कि 50 वर्षों का साथ यूँ छूट गया, सच दिल तो टूट गया। डॉक्टर शांति जैन (पद्मश्री) जी ने बिहार की लोकपरंपराओं व साहित्य के लिए जो अतुलनीय योगदान दिया है उसका बखान शब्दों में करना असंभव है। कुछ दिन पहले ही फोन से ढेर सारी बात हुई थी। तय हुआ कि कोविड की स्थिति थोड़ी सुधरे तो एक बैठकी घर पे होगी और वो अपने हाथ की बनाई कढ़ी चावल खिलाएंगी। उन्होंने 3 किताबें मुझे भिजवाई थी यह कहते कि इस विषय पर काम नहीं हुआ और मैं अपनी आवाज़ उनके गीतों को दूँ ये उनकी इच्छा है।

शारदा सिन्हा आगे कहती हैं कि 70 के दशक में जो मैंने रिकॉर्डिंग्स की थी, उनमें एक गीत इन्होंने मेरे साथ रिकॉर्ड किया था। वर्ष 2020 में इनका लिखा आखरी छठ गीत मैंने गाया था क्या पता था कि यह आखरी गीत होगा, क्योंकि उनके सशरीर रहते ये आखरी ही रहा। सुनहरे दौर के ये ऐसे साथी का जाना अंदर से खोखला कर जाता है।

साहित्य की धाराओं को सींचने वाले यहां नहीं

बिहार राज्य के लिए एक बहुत बड़ी दुखद घटना है क्योंकि साहित्य की धाराओं को सींचने वाले यहां नहीं रहे तो राज्य और देश किस आधार पर प्रगति करेगा? अपूरणीय क्षति हुई है राज्य को और लोकसाहित्य को। भारत सरकार और बिहार सरकार से विशेष गुज़ारिश करती हूं कि इस व्यक्तित्व को जो संगीत नाटक अकादेमी तथा पद्मश्री जैसे सम्मानों से नवाज़ी गयी हैं, मर्यादित और सम्माननीय ढंग से इनकी अंत्येष्टि की जाय । आपकी बहुत याद आएंगी।

उनकी मृत्यु बिहार के कला जगत के लिए बड़ी क्षति

वहीं, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पद्म श्री शांति जैन जी के निधन से दुखी हूँ। वे प्रख्यात समाज सेविका, हिंदी साहित्य का एक बहुत ही प्रभावी नाम और लोक संगीत गायिका थीं। उनकी मृत्यु बिहार के कला जगत के लिए बड़ी क्षति है। अपने छात्र जीवन से मैं उन्हें जनता था। मेरी गहरी संवेदना उनके परिवार के साथ है। ॐ शान्ति।