पढ़िए, कैसे सरकारी शिक्षा को युवाओं की टोली दे रही टक्कर?

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पटना : राजधानी पटना की कंकड़बाग कॉलोनी का एक फुटपाथ। यहां एक लाइन से 150 से अधिक बच्चे बैठ कर पढ़ रहे हैं। इनको पढ़ाने वाले भी बहुत ज्यादा उम्र के नहीं हैं, बल्कि रेलवे, मेडिकल और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा हैं।
ये युवा अपनी खुद की पढ़ाई से समय निकाल इन गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं—नर्सरी से 10वीं तक। गरीब तबके और स्लम के बच्चे इन युवाओं के मिशन के प्रति काफी आकर्षित हो रहे हैं। इसमें एक घंटे पढ़ाई होती है और एक घंटे संस्कार क्लास चलाई जाती है। बच्चों को बातचीत करने के तरीके, पॉजीटिव थिकिंग और बिहेवियर के लिए अवेयर कराया जाता है। यहां पढ़ाने वाले कृष्णा कुमार कहते हैं कि मैं बीपीएससी की तैयारी करता हूं। अपनी दिनचर्या से दो घंटे प्रतिदिन निकाल कर इन बच्चों को पढ़ाता हूं। इससे मुझे यह महसूस होता है कि मैंने अपने समाज के लिए कुछ किया।
कंकड़बाग सहित 35 अन्य जगहों पर ये युवा विभिन्न ग्रुप बनाकर बच्चों को पढ़ाते हैं। ऐसे ही एक ग्रुप के टीचर विश्वजीत कुमार कहते हैं कि हम 2007 से इसमें जुड़े हैं। पहले संख्या कम थी लेकिन अब लड़के-लड़कियां इसमें रुचि लेकर पढ़ते हैं। मां-बाप भी आराम से बच्चों को भेजते हैं। कई छात्राएं भी युवाओं की इस मुहिम से जुड़ी हैं। पटना में 35 जगहों पर ऐसी क्लास चलाई जा रही है। पटना जंक्शन और राजेन्द्र नगर का प्लेटफॉर्म नंबर 1, मुसल्लहपुर हाट, रामकृष्णा नगर, सैदपुर, कंकड़बाग, बाजार समिति सहित कई जगहों पर ऐसी क्लास चलाई जा रही है।

शुरू में तो इन युवाओं ने अपने दम पर ही सबकुछ किया। लेकिन अब इनकी टोलियों को गायत्री परिवार की प्रज्ञा युवा प्रकोष्ठ की तरफ से कुछ सहयोग दिया जाता है। इसे युवाओं ने संस्कारशाला नाम दिया है। हर वर्ष संस्कारशाला में बच्चों को भारतीय संस्कृति की परीक्षा देनी होती है। इसका सर्टिफिकेट भी बच्चों को मिलता है। संस्कारशाला की गौरी कुमारी का एडमिशन जयपुर के वनस्थली कॉलेज में भी हुआ है। ऐसे ही कई बच्चे यहां से पढ़कर अच्छे स्कूलों में एडमिशन पा रहे हैं।
(शशि शेखर)

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