पढ़ें, कैसे खाड़ी देश से लौटे दो लोगों ने बिहार में 36 को बांट दिया कोरोना?
पटना : बिहार में कोरोना पॉजिटिव की संख्या 60 के उपर हो गई है। लेकिन वास्तव में देखा जाए तो बिहार में यह आंकड़ा महज दो लोगों की लापरवाही का ही नतीजा है। यदि ये दो व्यक्ति थोड़ी भी जिम्मेदारी दिखाते तो आज बिहार में कोरोना पॉजिटिव की संख्या महज 24 होती। उपर वर्णित 60 के आंकड़े में इन दोनों की लापरवाही ने 36 लोगों को कोरोना बांट दिया। ये दोनों लोग खाड़ी के देश से कोरोना संक्रमित होकर बिहार आये और सिवान और मुंगेर—पटना आदि जगहों पर कोरोना बांट गए।
सिवान में ओमान से लौटे युवक ने परिवार के 23 को किया संक्रमित
बिहार में अचानक बढ़े कोरोना मरीजों की पड़ताल में यह बात सामने आई कि सिवान जिले में कुल 27 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं जिनमें 23 तो एक ही परिवार के हैं। सिवान में रघुनाथपुर के पंजवार इलाके का रहने वाला 30 साल का एक नौजवान 21 मार्च को ओमान से दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा और फिर 22 मार्च को सिवान पहुंचा। उसके हाथ पर होम क्वारंटीन की मुहर लगी थी। इसी मुहर के दम पर इसने परिवार और गांव वालों के साथ ही प्रशासन को भी झांसा दिया कि मैं तो बिल्कुल ठीक हूं। लेकिन गांव के कुछ लोगों को यकीन नहीं हुआ।
ग्रामीणों और प्रशासनिक टीम को झूठ बोलकर दिया धोखा
सूत्रों के मुताबिक 28 मार्च को सिस्टम से जुड़े कुछ छोटे कर्मचारियों ने इस 30 साल के युवक के बारे में मेडिकल टीम को खबर दी। इसी दिन टीम गांव में पहुंच गई। लेकिन इस शख्स ने पहले ही झांसेबाजी का मकड़जाल बुन लिया। वह अपने घर से 300 मीटर दूर एक बथान में जा बैठा।
मेडिकल टीम को उसने कह दिया कि वह तो क्वारंटाइन जोन में रह रहा है। लक्षण न दिखने पर मेडिकल टीम भी इसके झांसे में आकर वापस चली गई। इसके बाद 1 अप्रैल को इसका सैंपल लिया गया। लेकिन इस दौरान पूरे 11 दिन तक वह अपने परिवार के 33 लोगों के साथ संपर्क में रहा। पहले उस युवक की पॉजिटिव रिपोर्ट आई और अब उसके परिवार के 23 लोग उससे संपर्क में आकर कोरोना संक्रमित हो गए।
मुंगेर में कतर से आए युवक ने 13 को किया संक्रमित
सिवान के युवकी की तरह ही खाड़ी देश कतर से मुंगेर लौटे एक युवक ने भी लापरवाही बरती। कतर से 12 मार्च काे वह गांव आया और अपने साथ वहां से काेराेना लेता आया। गांव में लाेगाें के साथ रहा। घर वालाें काे भी नहीं बताया। जब बीमार पड़ा ताे मुंगेर के दाे निजी अस्पताल व फिर सदर अस्पताल में भर्ती हुआ। तब डाॅक्टराें ने उसे काेराेना का संदिग्ध नहीं माना। जब वह 19 मार्च काे पटना के शरणम अस्पताल आया तब डाॅक्टराें ने उसे संदिग्ध मानते हुए एम्स रेफर किया जहां 21 मार्च काे उसकी माैत हाे गई। लेकिन मरने से पहले उसने स्लीपर का काम किया और मुंगेर, पटना, लखीसराय व गया के 13 लाेगाें काे काेराेना बांट गया।
बिहार लौटे दोनों युवकों को क्या करना चाहिए था
यदि सिवान और मुंगेर के ये दोनों युवक अपनी बीमारी की बात नहीं छुपाते और घर में 14 दिन तक हाेम क्वारंटाइन रहते तो कम से कम वे किसी रिश्तेदार या अन्य को संक्रमित नहीं कर पाते। साथ ही इन दोनों को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना था। इसके अलावा साेशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करना था। लेकिन हिदायत के बावजूद दाेनाें गांव आने के बाद संबंधियाें से मिलते रहे। साेशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल नहीं रखा। इसी का नतीजा अब बिहार में कोरोना मामलों के अचानक बढ़ने के रूप में सबके सामने है।