शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल, बिहार में फेल हुए गुरु जी, मात्र 421 सफल
पटना : बिहार सरकार भले ही राज्य की शिक्षा व्यवस्था को लेकर तरह तरह के दावे कर ले लेकिन, हकीकत क्या है यह आए दिन किसी न किसी माध्यम से सामने आता ही रहता है। इसी कड़ी में अब राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार न होने की एक और हकीकत निकल कर सामने आई है।
दरअसल, बीते 31 मई को बिहार लोक सेवा आयोग ने उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पदों पर नियुक्ति के लिए 6421 पदों पर परीक्षा आयोजित करवाई थी, जिसके परिणाम बीते रात घोषित कर दिए गए। यह परिणाम ही बिहार की शिक्षा व्यवस्था का एक प्रमाण साबित हो गया है। इस परीक्षा में मात्र 421 उम्मीदवारों को सफलता मिली है। बाकी सारे गुरु जी फेल हो गए।
संयुक्त सचिव सह परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि चयनित 421 उम्मीदवारों में सामान्य कोटि के सामान्य वर्ग के 99, अनुसूचित जाति के 21, अनुसूचित जनजाति के एक, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 103 एवं पिछड़ा वर्ग के 140 उम्मीदवार शामिल हैं। जबकि कट ऑफ की बात करें तो सामान्य का कटआफ मात्र 48 ही रहा। आर्थिक रूप से कमजोर पुरुष अभ्यर्थियों के लिए 40 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के पुरुष अभ्यर्थियों के लिए 36.5 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 34 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति, जनजाति, महिलाओं तथा दिव्यांगों के लिए न्यूनतम 32 प्रतिशत अंकों के आधार पर मेधा सूची तैयार की गई।
वहीं, सबसे अधिक विचित्र बात यह रही की प्रधानाचार्य की परीक्षा देने आए गुरु जी को अपना ओएमआर शीट भी ठीक ढंग से भरने नहीं आया जिस कारण से 87 ने तो अपना ओएमआर शीट भी गलत तरीके से भर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि इनकी पात्रता ही रद्द कर दी गई। वहीं, इस परीक्षा में कुल 13055 परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
गौरतलब हो कि, इस परीक्षा में सोशल स्टडी के 100 प्रश्न, जिसके 100 मार्क्स थे। b.Ed कोर्स से संबंधित 50 प्रश्न जिसके 50 नंबर थे। इस परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग भी थी। एक गलत जवाब देने पर 0.25 अंक काटने का प्रावधान किया गया था, इससे परीक्षा में मास्टर साहब लोग बुरी तरीके से असफल रहे।