राज-समाज और नदी पुनर्जीवन विषय पर जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारी करेंगे संवाद, पर्यावरण को बचाने हेतु आप भी ले सकते हैं भाग

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पटना: बारिश की हर बूंद को सहेज कर रखने के लिए कुएं, बावड़ी, ताल-तलैया बनवाने की परंपरा भारत में मानव सभ्यता के विकास की महत्वपूर्ण सहयात्री रही है। ईसा से कोई 800 से 300 साल पहले लिखे गए ग्रंथ गृहसूत्र व धर्मसूत्र में तालाबों के निर्माण का उल्लेख है। दुर्भाग्य है कि जैसे-जैसे समाज ज्यादा उन्नत, विकसित और तकनीकी-प्रेमी होता गया, अपनी परंपराओं को बिसरा बैठा। पहले-पहल तो लगा कि पानी पाईप के जरिए घर तक नल से आएगा, खेत में जमीन को छेद कर रोपे गए नलकूप से आएगा, लेकिन जब ये सब ‘चमत्कारी उपाय’(?) फीके होते गए तो मजबूरी में पीछे पलट कर देखना पड़ा। शायद समाज इतनी दूर निकल आया है कि अतीत की समृद्ध परंपराओं के पद-चिन्ह भी नहीं मिल रहे हैं। नदी को बचाने के लिए बिहार में पानी रे पानी नाम से अभियान चलाया जा रहा है।

‘पानी रे पानी’ अभियान का मकसद नदियों के किनारे बसे गांव एवं शहरों में जाकर लोगों को नदियों, तालाब समेत परम्परागत जल श्रोतों के महत्व और वर्तमान की स्थितियों से वाक़िफ़ करना और उनकी रक्षा के लिये जनप्रयास को प्रेरित करना है। यात्रा के क्रम में आमलोगों, जनसंगठनों और स्कूली बच्चों के साथ संवाद स्थापित करना, ताकि वे इस बात से वाक़िफ़ रहे हैं कि यदि अब नहीं चेते तो आने वाले समय में हालात भयावह होने वाला है।

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इस अभियान को लेकर 24 तारीख को गूगल मीट के माध्यम से बिहार के सामाजिक कार्यकर्ताओं सिविल सोसाइटी से जुड़े लोग और जल विशेषज्ञ लोगों की बैठक हुई। इसमें बिहार की नदियों एवं परंपरागत जल स्रोतों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने एवं जमीनी हकीकत के आधार पर काम शुरू करने योजना पर बात हुई।

इसमें सरकार व समाज के समन्वय के आधार पर जल संरक्षण व विकास का एक मॉडल तैयार करने की बात कहीं गई इस अभियान के संयोजक पंकज मालवीय ने करीब 2 माह के अपने बिहार की यात्रा में सामने आए तथ्यों से लोगों को अवगत कराया। स्वत्व मीडिया के संपादक कृष्ण कांत ओझा ने जल संरक्षण में पत्रकारिता की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला।

इस कड़ी में शनिवार 25 जुलाई 2020 को सुबह 9 बजे से ‘राज-समाज और नदी पुनर्जीवन’ विषय पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक व जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के वरीय अधिकारी राजीव रंजन मिश्रा बिहार के सैंकड़ों सामाजिक कार्यकर्ताओं व सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों और जल विशेषज्ञ को संबोधित करेंगे।

Meeting URL: https://meet.google.com/qtb-kghq-rfa

इस अभियान के तहत देश के प्रतिष्ठित नदी एवं पर्यावरण विशेषज्ञ ई. दिनेश मिश्र, भूवैज्ञानिक के.जी. व्यास, अरूण तिवारी सरीखे कई अनुभवी व्यक्तियों के मार्ग दर्शन में सम्पन्न होने वाले इस कार्यक्रम पहले चरण में राज्य की पाँच नदियों (चम्पा–भागलपुर, साऊरा-पूर्णियाँ, धनौती-चंपारण, क़ाव- रोहतास, सँकरी-नवादा) के अतीत और वर्तमान हालत को केन्द्रित कर अध्ययन किया जा रहा है। इस दौरान प्रत्येक नदी को बरसात से लेकर गर्मी के मौसम तक तीन बार समझने की कोशिश की जाएगी और इसे सदानीरा बनाने का प्रयास किया जाएगा।

नदी तट पर पूजा-अर्चना कर ‘नदी चेतना यात्रा’ की शुरुआत की गई

बता दें कि ‘पानी रे पानी’ अभियान के तहत गंगा अवतरण दिवस ( गंगा दशहरा) के अवसर पर 1 जून 2020 को पटना के दीघा रेल पुल के निकट गंगा घाट पर पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके अतिरिक्त स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी, पद्मश्री अनिल जोशी के संबोधन के साथ ‘नदी चेतना यात्रा’ की शुरूआत की गई, यह यात्रा नदी दिवस तक आयोजित की गई है। ‘नदी चेतना यात्रा’ के तहत गंगा दशहरा से लेकर पर्यावरण दिवस तक चुने गये नदियों के तट पर पूजन और वृक्षारोपण कार्यक्रम कर यात्रा का श्रीगणेश किया गया था।

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