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प्राचीन कुआं भरकर मुख्यमंत्री की योजना को बट्टा लगा रहे दबंग, मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे अधिकारी

सारण : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महत्वाकांक्षी योजना जल-जीवन-हरियाली योजना में सेंध लगाने की एक खबर निकल कर सामने आ रही है। दरअसल ,सारण के चिरांद में स्थानीय दबंगों ने प्राचीन कुएं को भरकर मुख्यमंत्री के उद्देश्यों की मिट्टी-पलीद कर रहे हैं और स्थानीय अधिकारी मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं। जबकि, इसको लेकर चिरांद के स्थानीय लोगों ने अंचल अधिकारी को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। लोगों ने प्राचीन कुएं को उसके मूल स्वरूप में लाने का अनुरोध अंचल अधिकारी से किया है। लेकिन, अभी तक इस मामले में उनके तरफ से कोई जवाब निकल कर सामने नहीं आया है।

सदर प्रखंड के चिरांद स्थित प्राचीन कुएं को भरकर स्थनीय दबंग

दरअसल, चिरांद में खाता 233 सर्वे 998 में एक प्राचीन कुआं था। यह कुआं नक्शे में भी है। आसपास के लोग इस कुएं से अमानत कराकर अपनी जमीन निकालते थे। कुआं स्थानीय लोगों के पानी पीने के काम तो आता ही था, इससे खेतों की सिंचाई भी होती थी। लेकिन, अंचल अधिकारी को भेजे गए पत्र के अनुसार, बीते दिनों चिरांद के कृष्णा महतो, नंदलाल महतो और जितेंद्र महतो ने कुएं को तोड़कर उसे भर दिया। इसके बाद अब उस स्थान का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। कुएं की जमीन पर बालू का कारोबार किया जा रहा है। यह कारोबार भी अवैध है।

खेती के लिए पानी नहीं

स्थानीय लोगों ने अंचल अधिकारी से कहा है कि कुएं को भर दिए जाने से उनके खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है। इससे उनकी खेती बर्बाद हो रही है। कुछ लोगों के घरों में भी इसी कुएं से पानी जाता था, जिन्हें भी परेशानी उठानी पड़ रही है।

असामाजिक तत्व डरा रहे

स्थानीय लोगों ने अंचल अधिकारी को यह भी बताया है कि इस बारे में कई बार शिकायत की गई लेकिन कोई भी खुलकर सामने नहीं आता, क्योंकि कुआं भरने वालों की संगति असामाजिक तत्वों से है। असामाजिक तत्व लोगों को डराकर रखते हैं और कोई भी उनके खिलाफ मुंह नहीं खोल पा रहा है। स्थानीय लोगों ने अंचल अधिकारी से खुद दौरा कर शिकायत का निवारण करने की मांग की है।

मुख्यमंत्री की योजना टाय-टाय फिस्स

बता दें कि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल जीवन हरियाली योजना की शुरुआत की है। इसके तहत राज्य में पौधे लगाने, पोखरों और कुआं का निर्माण करने की मुहिम चलाई जा रही है। परंपरागत जलस्रोतों तालाब, पोखरों, कुआं को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन चिरांद में पहले से मौजूद कुएं को दबंगों ने भर दिया और प्रशासन देखता रहा। सरकार किसानों को तालाब, पोखरा बनाने और खेतों की सिंचाई के लिए 75500 रुपये की सब्सिडी भी दे रही है। लेकिन, स्थानीय लोगों का कहना है कि नए कुएं क्या खुदवाएं, जब पुराने जलस्रोतों की रखवाली ही नहीं हो पा रही है। इस संबंध में सदर अंचलाधिकारी सत्येंद्र सिंह ने बताया कि ,प्राचीन कुआं जो नक्शा में है,उसे मुस्तकिल माना जाता है।ऐसे ऐसे में उसका अस्तित्व समाप्त करना भरना दोनों कानूनी जुर्म है ऐसे में संबंधित व्यक्ति पर प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जएगी।