सिवान में अब बनेगा ‘रईस’ का साम्राज्य! RJD में शामिल होने की अटकलें
पटना : बिहार शुरू से ही बाहुबलियों का केंद्र रहा है। यहां एक से एक बाहुबली पैदा हुए और अपने अंतिम दौर में सफेदपोश बन जनता के हुक्म की तामिल करने लगे। इसी में एक नाम सिवान इलाके के राजा कहे जाने वाले राजद के नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन का भी है। ऐसा कहा जाता है कि जबतक यह जिंदा थे तब तक हर कोई यह जानता था कि सिवान की राजनीति पर सिर्फ और इनका ही आदेश चलता है।
लेकिन, अब जो नए परिदृश्य बन रहे हैं उसको देख यह लग रहा था है कि अब यहां से शहाबुद्दीन का दुधवा कम होने की कगार पर आ गया है क्योंकि बीते रात जिस तरह रईस खान ने राजद नेता तेजप्रताप से मुलाकात हुई है और दोनों की तस्वीर जो सामने आ रही है उसको देख कर ऐसा माना जा रहा है कि अब रईस खान इस क्षेत्र में अपना कब्जा जमाने में जुट गए है।
फिलहाल वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ी हुई नहीं…
बता दें कि, हाल ही में दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना साहब ने सीधे तौर पर कहा था कि फिलहाल वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ी हुई नहीं हैं, बल्कि वह बिल्कुल न्यूट्रल हैं। उनके इस बयान के बाद रईस खान के लिए रास्ता और साफ हो गया और इन्होंने मौके का लाभ उठाते हुए लालू परिवार से अपनी नजदीकियां बढ़ा ली। अब उनकी एक तस्वीर लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव से साथ मुलाकात करते हुए सार्वजनिक हुई है। जिसके बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि रईस खान चल रहे राजद का दामन थाम सकते हैं।
गौरतलब हो कि, रईस खान सिवान से निर्दलीय एमएलसी का चुनाव लड़ चुके हैं इस चुनाव में रईस खान ने बीजेपी को तीसरे नंबर पर रखने का काम किया था। ऐसे में अब शहाबुद्दीन की मौत के बाद रईस खान की नजर लोकसभा सीट पर है उन्होंने कहा भी था कि आने वाले चुनाव में अगर मौका मिलता है या ऐसी कोई परिस्थिति बनती है तो वह लोकसभा चुनाव में जरूर खड़े होंगे।
उधर, बात करें मोहम्मद शहाबुद्दीन के कुनबे की तो यह कयास लगाया जा रहा है कि शहाबुद्दीन जब इस दुनिया को छोड़ कर चले गए तब से उनके परिवार वालों ने लालू परिवार से अपनी दूरियां बना ली है, क्योंकि ऐसा आरोप लगाया जाता है कि कठनाई भरे दिनों में कहीं भी लालू परिवार शहाबुद्दीन के साथ खड़ा नजर नहीं आया, जिसके कारण अब हिना साहब ने भी उनसे दूरियां बनाने में ही अपना फायदा माना है। हालांकि, बीच में राजद नेता तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा से मिलकर गिले – शिकवे दूर करने की कोशिश जरूर की लेकिन उनको सफलता नहीं मिली। जिसके बाद अब ऐसा मालूम चल रहा है कि शहाबुद्दीन का कुनबा जदयू के साथ जा सकता है।