अब छोटे स्तर के गोपालन पर भी मिलेगी सरकारी मदद

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दो व चार गायों के पालन पर भी मिलेगा सरकारी अनुदान, अत्यंत पिछड़ी जाति के लोगों को 75% मिलेगा अनुदान

पटना: राज्य में गोपालकों और गाय के पालन से अपना रोजगार शुरू करने वालों के लिए अच्छी खबर है। राज्य सरकार प्रारंभिक स्तर से ही गाय पालकों को मदद करने के लिए तैयार है। कम संख्या में भी गोपालन करने वाले लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा‌।

इसके लिए पहले से चली आ रही समग्र गव्य विकास योजना में कई जरूरी बदलाव किए गए हैं। अब इच्छुक व्यक्ति महज 2 गायों के पालन से भी अपना स्वरोजगार शुरू कर सकते हैं। इसके लिए भी सरकार उनको आर्थिक मदद देगी। खास बात यह है कि कुल खर्चे की 50% की राशि सरकार बतौर अनुदान देगी।

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गोपालन के इच्छुक युवकों को बैंकों का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। वे स्वलागत से अपनी आधी रकम अगर जुटा लें तो शेष राशि सरकार देगी।अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्यंत पिछड़े समाज के लोगों के लिए 75% की राशि सरकार देगी। ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है कि गोपालन योजना में अत्यंत पिछड़े समाज के लोगों को भी शामिल किया गया है। उनको अनुसूचित जाति, जनजाति के समान अनुदान की व्यवस्था की गई है।

गायों की कम संख्या रहने से युवकों का रोजगार के प्रति ध्यान भी बढ़ेगा। पहले इस योजना के तहत 6 और 10 गायों के पालन पर भी सरकार अनुदान देती थी। खर्च अधिक होने के कारण उसका लाभ चंद लोग ही उठा पाते थे। लेकिन, लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थिति को देखते हुए इस योजना में बदलाव किए गए हैं।

गायों की कम संख्या रहने के कारण अधिक युवकों को इस योजना का लाभ दिया जा सकता है। सरकार का मानना है कि दो और 4 गायों के लिए चलाई जाने वाली इस योजना का लाभ गरीब व्यक्ति, मध्यमवर्ग से लेकर प्रवासी मजदूर भी उठा सकते हैं। योजना को पूरी तरह तैयार करके, इसे कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।

राज्य सरकार दो गाय के खरीद पर 50% अनुदान देती है। दो गाय और उसके शेड के लिए 1.60 लाख खर्च का प्रावधान है। इसी प्रकार चार गायों के लिए 3.38 लाख खर्च का प्रावधान है। जिसमें सरकार का अनुदान मिलेगा।

पशुपालन मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि सरकार की चाहत है कि अधिक से अधिक लोग को रोजगार मिले। इस योजना से लाभुकों को तुरंत रोजगार मिलता है और तुरंत आय भी शुरू हो जाती है। इसमें समय नहीं लगता है। साथ ही बैंकों के रवैए के कारण होने वाली परेशानी से भी लाभुकों को निजात मिलेगी। अधिक से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। सरकार ने यह देखा है कि डेयरी उद्योग में अधिक गायों के पालन में होने वाले खर्च के कारण लाभुक इस क्षेत्र में आना नहीं चाहते हैं। मध्यवर्ग के युवक इस क्षेत्र में नहीं आ सकते हैं। इसलिए उनकी सुविधा के लिए यह योजना चलाई जा रह है।

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