नोटा के सोंटा से चारों खाने चित्त हुई भाजपा, पढें कैसे?
पटना : छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेेश में हो रहे विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार राजनैतिक पर्टियों के साथ-साथ आम जनता के लिए भी काफी दिलचस्प रहा। आखिर कौन जीतेगा और कौन हारेगा? सबकी नजरें दिनभर टीवी पर आते चुनाव अपडेट पर टिकी रही। चुनाव परिणामों को देखें तो बीजेपी की हार में भी उसकी जीत दिखाई देती है क्योंकि बीजेपी सरकार से नाराज लोगों ने सीधे कांग्रेस को वोट न देकर दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया है। इसमें ‘नोटा’ का ‘सोंटा’ भाजपा पर जमकर बरसता हुआ दिख रहा है। नतीजों से यह साफ है कि बीजेपी के वोट प्रतिशत में भी कोई खास अंतर नहीं आया है और न ही वह कांग्रेस के वोट प्रतिशत से बहुत पीछे है।
इस तरह भाजपा पर चला नोटा का सोंटा
आज के चुनाव परिणामों से एक बात साफ हो गई कि भाजपा को कांग्रेस ने नहीं, बल्कि नोटा ने चित कर दिया। खासकर राजस्थान और एमपी दोनों ही जगहों पर कांग्रेस और भाजपा को मिले वोट प्रतिशत में कोई खास अंतर नहीं है। जहां मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही 41.4 फीसदी वोट मिले, वहीं राजस्थान में कांग्रेस को 39.2 तथा बीजेपी को 38.7 प्रतिशत मत मिले। दोनों ही राज्यों में फर्क पड़ गया नोटा के तहत पड़े वोटों से जो पारंपरिक रूप से भाजपा का ही वोट माना जा रहा है। एमपी में 1.5 फीसदी नोटा के वोट पड़े तो राजस्थान में 1.3 फीसदी नोटा के वोट पड़े। साफ है कि यदि नोटा के ये वोट बर्बाद न होकर भाजपा को मिले होते तो तस्वीर कुछ अलग ही होती।
राजस्थान ने भाजपा को दिया सम्मान
राजस्थान में कुल 200 में से 199 सीटों पर चुनाव हुए थे। एक उम्मीदवार की मौत के कारण 1 सीट पर मतदान नहीं कराया जा सका। ताजा आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस और उसके साथी 101 सीटों पर आगे हैं। वहीं, बीजेपी 74 सीटों पर आगे चल रही है। राजस्थान में 24 सीटों पर निर्दलीय और छोटी पार्टियों के उम्मीदवार आगे हैं जिससे तय है कि बीजेपी से नाराजगी वाले सारे वोट कांग्रेस को ट्रांसफर नहीं हुए हैं। अगर ऐसा होता तो कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिल सकता था।दूसरा, ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि राजस्थान में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा, वैसा भी होता नहीं दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि अगर पार्टी ने वसुंधरा के मुदृे पर थोड़ा ध्यान दिया होता तो तस्वीर थोड़ी और बेहतर होती। राजस्थान में कांग्रेस को सीटें भले ही ज्यादा मिलती दिख रही हैं, लेकिन दोनों के वोट प्रतिशत में मामूली अंतर है। जहां कांग्रेस को 39.2 फीसदी मत मिले हैं वहीं बीजेपी को 38.5 फीसदी वोट मिले।
एमपी में तीन टर्म के बाद भी कांटे की लड़ाई
मध्य प्रदेश में कुल 230 सीटों में कभी कांग्रेस आगे हो जा रही तो कभी बीजेपी। यहां दोनों को तकरीबन बराबर सीटें मिलती दिख रही हैं। शिवराज का दावा है कि सरकार वही बनाएंगे, जबकि कांग्रेस को लगता है वह सरकार बनाने में सफल होगी। लेकिन इतना तय है कि यहां बीजेपी अपना किला बचाने में कामयाब रही है। फिलहाल, वोट प्रतिशत को देखा जाए जो बीजेपी को 41.4 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं, वहीं कांग्रेस को 41.4 फीसदी वोट मिल रहे हैं। दोनों को 110-110 सीटें मिलती दिख रही हैं। यहां भी अन्य 10 सीटों पर आगे हैं। बीएसपी को 3 और सपा को 1 सीट मिलती दिख रही है। यहां यह स्पष्ट है कि एंटी इनकैंबेसी का पूरा लाभ कांग्रेस नहीं ले पाई। अगर बसपा, सपा, गोंडवाना विकास पार्टी को साथ लिया गया होता तो कांग्रेस को बहुमत से बहुत ज्यादा सीटें मिल सकती थीं।
असली नुकसान छत्तीसगढ़ में
अगर नुकसान का आकलन किया जाए तो बीजेपी को सबसे तगड़ा झटका छत्तीसगढ़ में लगा। यहां बीजेपी को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। वोट प्रतिशत में भी कांग्रेस ने यहां पर बीजेपी को बहुत पीछे छोड़ दिया। यहां कांग्रेस को 66 सीटें मिलती दिख रही हैं तो बीजेपी को मात्र 16। कांग्रेस को यहां 43.6 फीसदी वोट मिल रहे हैं तो वहीं बीजेपी को 32.1 फीसदी वोट। लेकिन यहां का भी वोट प्रतिशत यह दर्शाता है कि लोगों ने बीजेपी को एकदम से नकारा नहीं है।
बहरहाल आज के चुनाव परिणामों में बढ़त बनाने वाली कांग्रेस पार्टी को तो मानों यह सब सपने जैसा लग रहा है। हालांकि उसे इतना अधिक इतराने की भी जरूरत नहीं, क्योंकि उसे जो बढ़त हासिल हुई है वह बहुत मामूली ही है।
बीना कुमारी सिंह