नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, समान काम—समान वेतन नहीं
पटना/नयी दिल्ली : बिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा झटका दिया है। उन्हें समान काम के बदले समान वेतन नहीं मिलेगा। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में फैसला सुनाते हुए पटना हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया। कोर्ट ने उनकी समान काम के बदले समान वेतन की मांग को नहीं माना।
अब तक क्या—क्या हुआ
मालूम हो कि न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे व उमेश ललित की खंडपीठ ने 3 अक्टूबर 2018 को केंद्र, राज्य सरकार तथा शिक्षकों का पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज 10 मई 2019 को कोर्ट ने इस मामले में अपना अहम निर्णय सुनाया। इससे पहले पटना हाईकोर्ट द्वारा शिक्षकों के हक में दिये फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने 14 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
केंद्र और राज्य के पास पैसे की कमी
केंद्र और राज्य सरकार ने समान काम के बदले समान वेतन देने में असमर्थता जताई थी। केंद्र सरकार की ओर से एटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि समान वेतन देने में 1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार केंद्र द्वारा वहन करना संभव नहीं। राज्य सरकार के वकील ने कहा कि आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों के बराबर समान वेतन दिया जा सके। फिलहाल नियोजित शिक्षकों को 18-25 हजार प्रति माह मिल रहा है। अगर समान काम के बदले समान वेतन दिया जाए तो 40-45 हजार रुपए प्रतिमाह देने होंगे जो संभव नहीं।