दारूबंदी में बुरी फंसी नीतीश की पुलिस, हीरा-मोती के लिए हर माह दे रही 10 हजार

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पटना/गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में पुलिस के लिए हीरा मोती नाम के दो बैल मुसीबत बन गए हैं। यह सारा कुछ दरूबंदी के चक्कर में हुआ है और पुलिस को इन दोनों बैलों को खिलाने के लिए 10 हजार रुपए हर माह खर्च करने पड़ रहे हैं। मामला गोपालगंज के जादोपुर थाने का है जहां पुलिस ने एक शराब लदी बैलगाड़ी को जब्त किया। बैलगाड़ी का इस्तेमाल शराब तस्करी में किया जा रहा था। ये दोनों बैल उसी बैलगाड़ी में जुते हुए थे और पुलिस उन्हें भी जब्त कर थाने ले आई।

थाने को देने पड़ रहे हर माह 10 हजार

लेकिन इन बैलों को लेकर अब पुलिस सिर पीट रही है। कानूनी प्रक्रिया के तहत इन बैलों को नीलाम करना था। परंतु नीलामी की रकम इतनी अधिक है कि कोई खरीदार ही नहीं मिल रहा। नतीजतन पुलिस को शराबकांड के अभियुक्त को ही जिम्मेनामा पर बैलों को सौंपना पड़ा। परंतु उसके पास बैलों को चारा खिलाने के लिए उतने पैसे नहीं हैं। जादोपुर के थानाध्यक्ष विक्रम कुमार ने बताया कि बैलों की देखभाल के लिए ओमप्रकाश को हर महीने 10 हजार रुपये दिए जाते हैं। बैलों की नीलामी का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन सवाल अब उठता है कि जिसके पास से शराब बरामद हुई उसी को जिम्मेनामा बनाकर बैलों की देखरेख की जिम्मेदारी कैसे सौंप दी गई।

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बैलों की नीलामी की कीमत 60 हजार

जेल से बाहर निकले ओमप्रकाश यादव ने अपनी दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि नौ महीने में 50 हजार रुपये से ज्यादा बैलों की देखरेख में खर्च हो गए हैं। छह महीने जेल में भी सजा काट ली। अब भी इन बैलों से पीछा नहीं छूट रहा है। ओमप्रकाश का कहना है कि 38 हजार रुपये का बैल है। जिसकी नीलामी के लिए कीमत 60 हजार रुपये निर्धारित कर दी गई है। इसलिए कोई खरीदार भी नहीं मिल रहा है। सरकार से बैलों की देखरेख व दानापानी के खर्चे में भी काफी दिक्कत है।

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