अग्निपथ पर Nitish की कुर्सी, जल रहा बिहार और CM कर रहे अपराध अनुसंधान की बात

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पटना : केंद्र सरकार की सेना भर्ती वाली नयी योजना अग्निपथ स्कीम का विरोध अब बिहार एनडीए में बड़ी खटपट की वजह बन गया है। एक तरफ सीएम नीतीश कुमार ने युवाओं के इस हिंसक विरोध पर चुप्पी साध रखी है, वहीं जबकि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को मुख्यमंत्री समीक्षा बैठक में अपराध अनुसंधान में तेजी लाने का निर्देश दे रहे हैं।उनकी सहयोगी पार्टी भाजपा के नेता लगातार उनकी सरकार पर आंदोलनकारियों से सहानुभूति रखने और उनसे निपटने में कोताही बरतने का आरोप दर आरोप जड़ रहे हैं। आज शनिवार को तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जायसवाल ने सीधे—सीधे नीतीश सरकार को धमकी तक दे डाली।

मौन साधे नीतीश, गुस्से में भाजपा नेता

अग्निवीरों के आंदोलन से निपटने के तरीके पर पहले ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह राज्य की नीतीश सरकार को कठघरे में घेरकर सियासी संकेत दे चुके थे। अब राज्य भाजपा अध्यक्ष के ताजा बयान से बिहार में सियासी टेंपरेचर काफी हाई हो गया। क्योंकि जायसवाल ने जो कहा वह सिर्फ आरोप नहीं बल्कि दबे अंदाज में यह राज्य सरकार और गठबंधन पर धमकी की तरह है। भाजपा अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा कि बिहार में प्रशासनिक मिलीभगत से यह उपद्रव कराया गया है। एक सोची समझी रणनीति के तहत इस हंगामे को हवा दी गई।

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प्रशासन को डिएक्टिवेट करने का आरोप

संजय जायसवाल का यह बड़ा आरोप गठबंधन सरकार के मुखिया के लिए काफी असहज करने वाला है। अगर उनके आरोप पर गौर करें तो स्पष्ट हो जाता है कि उपद्रवियों से निपटने में प्रशासन एक्टिव नहीं रहा। लेकिन बड़ा सवाल यह कि प्रशासन को हांक कौन रहा है? पुलिस कभी भी एक्टिव नहीं दिखी। निशाने पर चुन—चुन कर भाजपा कार्यालय और नेताओं को रखा गया। सबसे बड़ा बयान तो राज्य भाजपा अध्यक्ष ने यह दिया कि ये सब चलता रहा और मुख्यमंत्री अब भी इसपर चुप्पी साधे हुए हैं।

जदयू नेताओं की बिन मांगे वाली सलाह

वहीं बिहार एनडीए में उठे ताजा खटपट को तब और हवा मिली जब जदयू के नेताओं ने हिंसक प्रदर्शनों के खिलाफ कुछ भी बोलने से परहेज किया। यही नहीं, जदयू के कुछ वरिष्ठ नेताओं—उपेंद्र कुशवाहा, विजेंद्र यादव, ललन सिंह आदि ने मीडिया में बयान दे दिया कि केंद्र सरकार इस योजना पर फिर से पुनर्विचार करे। यानी वे घुमा—फिराकर इसे वापस लेने की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने भविष्य को देखते हुए अपने इस दूरदर्शी स्कीम को लॉन्च करने का कदम उठाया है। ऐसे में सरकार पीछे हटने से तो रही। उसपर जदयू का बिहार में यह रूख स्वाभाविक है कि भाजपा को पसंद नहीं आया है।

स्पष्ट है कि राज्य भाजपा अध्यक्ष की आज वाली ताजा तल्खी उनकी निजी नहीं, बल्कि केंद्र से मिले संदेश का बड़ा संकेत है। अब देखना है कि राज्य सरकार आने वाले कुछ दिनों में इस मुद्दे पर कैसा आचरण अख्तियार करती है। भाजपा अभी भी जदयू के सुप्रीमो नीतीश से इस मुद्दे पर खुलकर उसके साथ आने की उम्मीद लगाए बैठी है।

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