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अग्निवीर की जाति पूछने पर RJD के अलावा JDU और HAM का भी विरोध, कहा – सेना में जाति की क्या जरूरत ?

पटना : सेना भर्ती की नई योजना अग्निवीर की घोषणा के साथ ही विवादों से नाता जुड़ गया। शुरूआत के दिनों में इस योजना के तहत सेना में मात्र 4 साल तक नौकरी देने को लेकर विवाद हुआ तो अब जाति प्रमाण पत्र की मांग को लेकर विवाद छिड़ गया है। विपक्षी दलों के साथ ही साथ सहयोगी दलों द्वारा भी इस मांग को गलत बताया जा रहा है।

बिहार में भाजपा की सहयोगी जदयू के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इसको लेकर केंद्र सरकार के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सवाल किया है कि, रक्षा मंत्री जी यह बताएं कि सेना की बहाली में जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है, जब इसमें आरक्षण का कोई प्रावधान ही नहीं है। कुशवाहा ने कहा है कि इसको लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना चाहिए।

वहीं, इसके अलावा एक अन्य सहयोगी दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता दानिश रिजवान ने भी जाति पूछे जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अग्निवीर में जाति का कॉलम डालकर एक नए विवाद को जन्म दिया गया है। इससे अलग अलग तरह की भ्रांतियां फ़ैल रही है। केंद्र सरकार ने बैठे बिठाये विपक्ष को एक मुद्दा दे दिया है।

जात न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की

वहीं,अब इस मामले में बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी दल के नेता तेजस्वी यादव ने इसको लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि जात न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की। संघ की भाजपा सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है।

तेजस्वी ने कहा कि ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन आरएसएस बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छँटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/ धर्म देखकर 75% सैनिकों की छँटनी करेगी। सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?

इस बीच, जाति प्रमाण पत्र और धर्म प्रमाण पत्र मांगने पर विवाद गहराता देख सेना ने विपक्ष के नेताओं के आरोपों का खंडन करते हुए बयान जारी किया है। सेना के अधिकारियों ने कहा कि सेना की किसी भी भर्ती में पहले भी उम्मीदवारों से जाति प्रमाण पत्र और धर्म प्रमाण पत्र मांगा जाता था। इसे लेकर अग्निपथ योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसके अलावा भारतीय सेना के अधिकारी ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान मरने वाले रंगरूटों और सेवा में शहीद होने वाले सैनिकों के लिए धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार अंतिम संस्कार करने के लिए भी धर्म की जानकारी की आवश्यकता होती है।