नयी दिल्ली/पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पार्टी मामलों में नसीहत देने वाले जदयू नेताओं—राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और राष्ट्रीय महासचिव पवन कुमार वर्मा को पार्टी के बिहार अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने जमकर धोया। जहां प्रशांत किशोर को जदयू के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर कर दिया गया। वहीं दिल्ली में भाजपा से जदयू के गठबंधन पर सवाल उठाने वाले पवन वर्मा को लेकर श्री सिंह ने कहा कि उनके बयानों का कोई मतलब नहीं। सब बकवास है।
नीतीश को गठबंधन पर पत्र लिख उठाये सवाल
दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा सीएम नीतीश कुमार को एक पत्र लिखते हुए उनके निर्णय पर सवाल उठाया। पत्र में उन्होंने पूछा कि जदयू ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन कैसे कर लिया? वर्मा ने अपने पत्र के जरिए नीतीश कुमार से कहा है कि वह इस मामले पर अपनी बात स्पष्ट करें।
वशिष्ठ सिंह ने पवन के बयान को बताया बकवास
पवन बर्मा के इस पत्र के बाद सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया। जब मीडिया ने इस मामले में जदयू के बिहार प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह से प्रश्न किया तो उन्होंने वर्मा के पत्र को बेमतलब का करार दिया। श्री सिंह ने कहा कि कौन क्या लिखता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। बिहार में हमारा गठबंधन भाजपा के साथ है। तब तो किसी को कोई ऐतराज नहीं है। दिल्ली में हमारा गठबंधन बढ़ रहा है, तो इसमें हर्ज क्या है। ऐसे पत्र का कोई मतलब नहीं है।
प्रशांत किशोर जदयू प्रचारकों की लिस्ट से बाहर
उधर दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट से प्रशांत किशोर को बाहर करने को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए काम करने के चलते पार्टी ने यह फैसला लिया है। हालांकि, जल संसाधन मंत्री और दिल्ली विधानसभा चुनाव में जदयू के प्रभारी संजय झा ने कहा कि जैसी डिमांड होती है, वैसी लिस्ट बनाई जाती है। लेकिन इतना साफ है कि प्रशांत किशोर एनडीए के अंदर पहले नेता हैं जिन्होंने खुलकर सीएए और एनआरसी का विरोध किया। लगातार विरोध के कारण ही पीके पार्टी के अंदर अलग थलग पड़ गए और उन्हें स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर होना पड़ा।