नीतीश-ललन भी BJP के संपर्क में! कुशवाहा के बयान से बवंडर
पटना : एम्स में इलाज के बाद पटना लौटे उपेन्द्र कुशवाहा ने यह कहकर बिहार का सियासी पारा गरमा दिया कि—’उनसे भी बड़े जदयू नेता भाजपा के लगातार संपर्क में हैं’। कुशवाहा ने पटना में बयान दिया कि जदयू में जो जितना बड़ा नेता है, वह उतना ज्यादा भाजपा के संपर्क में है। मतलब साफ है कि जदयू में कुशवाहा से तो बड़ा नेता नीतीश कुमार और ललन सिंह ही हैं। यानी कुशवाहा ने घुमा—फिराकर यह पोल खोल दिया कि बड़े नेता भी भाजपा के टच में हैं।
मुख्यमंत्री खुद सामने आये और ये कहा…
अब कुशवाहा के इस बयान के बाद बिहार में सियासी तूफान खड़ा हो गया है। सोमवार को खुद मुख्यमंत्री सामने आये और उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा की बातों को सीरियसली नहीं लेने का गेस्चर दिखाया। लेकिन वे अंदर ही अंदर काफी भड़के हुए हैं। सियासी पंडित कुशवाहा के बयान की अपनी—अपनी तरह से पोस्टमार्टम कर रहे हैं। लेकिन इनमें से अधिकतर का निष्कर्ष यही है कि नीतीश कुमार कभी भी फिर पलटी मार सकते हैं। अपने निष्कर्ष के सपोर्ट में वे रामचरित मानस विवाद और राजद विधायक सुधाकर सिंह की बयानबाजी को भी नीतीश के ऐसे कदम उठाने में सहायक होने का तर्क देते हैं।
हरिवंश के जरिये भाजपा से संपर्क
अगर उपेन्द्र कुशवाहा के बयान पर गौर करें तो भले ही उन्होंने इसमें नीतीश-ललन का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन यह क्लियर है कि नीतीश ने अभी तक अपनी पार्टी के नेता और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के रूप में अपना एक सिपाही मोदी सरकार के संपर्क में छोड़ रखा है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी नीतीश के इसी ‘ढाई घर की चाल’ वाली राजनीति की बात हाल के दिनों में करते रहे हैं। ऐसे में देखना है कि अपनी सियासी चालों से हमेशा सरप्राइज देने वाले नीतीश इस बार क्या कदम उठाते हैं।
जदयू में रालोसपा का विलय आत्मघाती
जहां तक बात उपेन्द्र कुशवाहा की है तो वे खुद भी अपनी पार्टी रालोसपा का JDU में विलय कर बुरी तरह से फंस चुके हैं। नीतीश ने न तो पार्टी में उन्हें कोई अपने बाद वाली जगह देने का संकेत दिया और न बिहार कैबिनेट में कोई मंत्री पद ही। ऐसे में कुशवाहा का धैर्य जवाब देता जा रहा। भाजपा के साथ कुशवाहा नित नई ऊंचाइयां चढ़ रहे थे। लेकिन वहां भी वे संतुष्ट नहीं रहे तब अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर दिया। लेकिन यही उनका आत्मघाती कदम था। अब वे फिर भाजपा के संपर्क में हैं। इसी पर जब जदयू ने उनपर कटाक्ष किया तब उन्होंने नीतीश—ललन समेत जदयू के बड़े नेताओं की पोल—पट्टी खोल कर रख दी।