पटना : सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू को एक बार फिर महागठबंधन में इंट्री कराने के सवाल पर राजद में फिर एक टूट का खतरा पैदा हो गया है। राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह चाहते हैं कि भाजपा को हराने के लिए महाराष्ट्र की तर्ज पर बिहार में नीतीश से हाथ मिलाना जरूरी है। लेकिन लालू के लाल तेजस्वी यादव अपने नए सेनापति जगदानंद सिंह के साथ मिलकर अकेले दम पर राजद को सत्ता में ले आने के प्रति काफी कान्फिडेंट हैं। ऐसे में राजद में एक बार फिर दाे विचारधाराएं बहने लगी हैं। आशंका जताई जा रही कि कहीं पार्टी का एक हिस्सा टूटकर नीतीश की जदयू से न जा मिले।
नीतीश पर क्या कहा था रघुवंश सिंह ने
राजद में नीतीश कुमार के लिए सॉफ्ट सोच रखने वाले नेताओं की एक जमान हमेशा से मौजूद रही है। रघुवंश प्रसाद सिंह इस जमात के अगुआ रहे हैं। उन्होंने कल शनिवार को बयान भी दिया था कि भाजपा को हराने के लिए राजद को नीतीश कुमार से हाथ मिला लेना चाहिए। लेकिन उनके बयान को लालू के लाल तेजस्वी ने एक सिरे से खारिज कर दिया।
जगदानंद की कसक, तेजस्वी की दो टूक
रघुवंश प्रसाद सिंह की अपनी मजबूरी है। जब से जगदानंद सिंह प्रदेश राजद के अध्यक्ष बने हैं, रघुवंश बाबू पार्टी में खुद को तीसरे छोड़ चौथे नंबर पर देखने लगे हैं। रघुवंश सिंह और जगदानंद सिंह दोनों ही एक ही वोटबैंक के नेता माने जाते हैंं। अब जब पार्टी ने जगदानंद को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ज्यादा महत्व दे दिया, तो उन्हें भी तो राजनीति करनी है। ऐसे में उन्होंने नीतीश की री—इंट्री का सवाल उठा दिया। पार्टी में रघुवंश बाबू अकेले इस सोच वाले नेता नहीं हैं। उन्हें कुछ अन्य पार्टी नेताओं का भी समर्थन है जो उनके इस बयान से इत्तेफाक रखते हैं। यही कारण है कि राजनीतिक विश्लेषक राजद में नीतीश के सवाल पर एक और टूट की आशंका जताने लगे हैं।
राजद में और भी हैं नीतीश प्रेमी नेता
जगदानंद के प्रदेश अध्यक्ष बनने और पार्टी में नई ऊर्जा के संचार के बावजूद रघुवंश सिंह ने बयान दिया कि नीतीश कुमार को अपनी तरफ करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। स्पष्ट है कि वे अपनी तरफ से राजद में एक लाइन खींचने की कोशिश कर रहे हैं। इसी पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक टीवी चैनल को साफ कह दिया कि इसका सवाल ही नहीं होता है। इस तरह के बयान को कोई मतलब नहीं है।