पटना : मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट जल-जीवन-हरियाली या यूँ कहें चुनाव से पहले प्रदेश के सभी जिलों में घूम-घूम कर जनता के मूड को समझने का एक तरीका। सरकार जल जीवन हरियाली योजना के अंतर्गत पेड़-पौधे तथा तालाब इत्यादि का निरीक्षण कर रही है। मुख्यमंत्री जिस जिले में इस कार्यक्रम के तहत जाते हैं , तथा वैसे जगह को चिन्हित किया जाता है जहाँ पहले से तालाब हो ,वहां का सौंदर्यीकरण किया जाता है तथा मुख्यमंत्री अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए कुछ जरुरी दिशा निर्देश देते हैं।
मुख्यमंत्री के इस यात्रा पर नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि जल जीवन हरियाली के नाम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी वर्ष में बिहार का खज़ाना लूटने का एक नया काला अध्याय शुरू किया है। जल जीवन हरियाली योजना का कुल बजट ₹24500 करोड़ का है। तथाकथित योजना के पीछे नीतीश जी की यह योजना है कि कैसे चुनावी वर्ष में यह पूरा का पूरा बजट जदयु व भाजपा के कार्यकर्ताओं व नेताओं के जेबों में भरा जाए। इस योजना में सरकार की सक्रियता बस जन के धन को अपने भ्रष्ट मन के अनुसार बन्दरबांट करने में है।
शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, कृषि, विकास की बजाय 24500 करोड़ की “जल जीवन हरियाली” योजना के नाम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी वर्ष में बिहार का खज़ाना लूटने का एक नया काला अध्याय शुरू किया है। तथाकथित योजना के पीछे नीतीश जी की यह योजना है कि कैसे..https://t.co/jSLDfEC2gq
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) December 26, 2019
योजना के अंतर्गत होने वाले कार्यों की निष्पक्ष जांच हो
तेजस्वी ने कहा कि जल जीवन हरियाली नामक लूट योजना के तहत जदयु व भाजपा के कार्यकर्ताओं को तालाब, पोखर बनवाने या नर्सरी खोलने के लिए 30 लाख से 40 लाख तक दिया जा रहा है। बालिका गृहों की भाँति इस योजना का ऑडिट या जाँच निष्पक्ष, तटस्थ या गैर सरकारी स्वायत्त संस्था से करवाई जाए जहाँ किसी प्रकार का कोई हितों का टकराव ना हो, वहाँ इस महा लूटखसोट की सारी कलई खुल जाएगी! आधे से अधिक तालाब, नर्सरी इत्यादि के दर्शन सिर्फ़ सरकारी कागज़ पर ही होंगे, और बाकी जो वास्तविकता के धरातल पर होंगे भी तो वो या तो सरकारी ज़मीन पर या बिना अनुमति किसी और की निजी संपत्ति पर अतिक्रमण करके ही जैसे तैसे दिखावे को बन गए होंगे! अभी से ही इस घोटाले के लक्षण सम्बंधित लोगों को साफ साफ दिखने लग गए हैं।
नाकामियों को छुपाने के लिए अपनाये हैं यह तरीका
मुख्यमंत्री शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, आधारभूत संरचना व मूलभूत सुविधाओं में बिहार को बीमारू राज्य की श्रेणी में बनाए रखना सुनिश्चित किए हुए हैं, पर ध्यान भटकाने के लिए नए नए चोंचले तलाशते रहते हैं। कभी समाज सुधारक बन जाते हैं, कभी भ्रष्टाचार उन्मूलक, कभी गांधीवादी तो कभी पर्यावरणविद! समाज सुधारक ऐसा बने कि शराबबंदी के नाम पर नकली शराब, अवैध शराब व ड्रग्स का समानांतर अवैध अर्थव्यवस्था खड़ा कर दिया! उसपर शराबबंदी के नाम पर फल फूल रहा पुलिस-माफ़िया और प्रशासन के नेक्सस से गरीब बिहारियों का चौतरफ़ा शोषण।
सलाह के साथ चुनौती भी दे डाले तेजस्वी
साढ़े 24 हज़ार करोड़ रुपये से बिहार जैसे राज्य में कई स्कूलों की बदतर स्थिति में सुधार किया जा सकता है। लाखों युवाओं को रोज़गार दिया जा सकता था। राज्य के सभी अस्पतालों में मिल रही सुविधाओं को सुचारू व पर्याप्त बनाया जा सकता है! कई विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा सकती है! हर साल बाढ़ और बाढ़ राहत घोटाला झेलने वाले राज्य बिहार में बाढ़ रोकने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं या अगले कई वर्षों साल तक बाढ़-सुखाड़ पीड़ितों को राहत पहुँचाया जा सकता है! पलायन पीड़ा झेलने वाले बिहार में रोजगार सृजन के उपाय किए जा सकते थे, निजी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी आधारभूत संरचना खड़ा किया जा सकता था! पर मुख्यमंत्री जी को जन सरोकार की ज़रूरतों से क्या मतलब! उन्हें बस अपनी कुर्सी, अपनी राजनीति और चुनावों की चिंता है। जब लोगों का जीवन ही ख़ुशहाल नहीं रहेगा तो कैसी हरियाली? मैं चुनौती देता हूँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को कि तथाकथित जल जीवन हरियाली योजना में हो रहे भ्रष्टाचार पर मुझसे बहस कर मुझे गलत साबित कर दिखाएँ!