लालू की जमानत से नीतीश को डर, सियासी गलियारे में तैर रहे बहुमत के आंकड़े

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पटना : चारा घोटले के चार मामले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाइकोर्ट ने शनिवार को दुमका कोषागार मामले में भी जमानत दे दी। वहीं इसके बाद से बिहार में एक बार फिर से सियासी पारा ऊपर चढ़ गया है। जहां लालू के जमानत से विपक्ष को एक नई ताकत मिल गई है तो वहीं सरकार को भी भय सताने लगा है।

राजद सुप्रीमो के बाहर आने की खबरों को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही कल कहा हो कि “हमको मालूम नहीं, चलिये, इ सब चीज तो…उनका और कोर्ट का है…..” और अपनी आधी बात जुवान में ही रख ली हो लेकिन अंदरखाने से जो बातें निकल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक लालू के बाहर से सबके अधिक चिंतित नीतीश कुमार ही है।

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पार्टी सूत्रों की माने तो नीतीश कुमार की चिंता की वजह उनका कम सीटों पर बहुमत का होना बताया जा रहा है । नीतीश कुमार ये बात भली भांति जानते हैं की राजद सत्ता की कुर्सी के जरुरी अंकों से ज्यादा दूर नहीं है। तोड़फोड़ में मास्टर लालू प्रसाद जेल में रहते फोन के माध्यम से जब सरकार को अस्थिर कर सकते हैं तो बाहर आने के बाद वे समय-समय पर सरकार को हिलाने-ढुलाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे।

लालू इफेक्ट चला तो समीकरण इस प्रकार

यदि लालू इफेक्ट चला तो समीकरण इस प्रकार बदल सकते है। महागठबंधन + AIMIM+ HAM+VIP यानी की 110+5+4+4 =123 यानी की पूर्ण बहुमत।यदि निर्दलीय के विधायक को भी लालू यादव अपने पाले में लाते हैं और 12 यादव विधायकों में 4 विधायक को भी तोड़ने कामयाब हो जाते हैं तो महागठबंधन की सरकार मजबूती के साथ बन सकती है।

वहीं दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव के जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद बिखरे विपक्ष को भी एक नई ऊर्जा मिलेगी। साथ ही जो नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्‍व को नहीं स्‍वीकार कर रहे वो अब लालू यादव के नेतृत्व को खुशी से स्वीकार करेंगे। इसके साथ ही सत्ता पक्ष के खिलाफ लगातार आक्रामक तेजस्वी और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं के हमलों को एक नई धार मिलेगी और राजद परिवार को नैतिक बल हासिल होगा। इसका सीधा लाभ महागठबंधन को मिलेगा।

बड़े-छोटे की जोड़ी ने लगाया था भाजपा के विजय रथ पर ब्रेक

मालूम हो कि लालू प्रसाद यादव की दोस्ती नीतीश कुमार से टूटने के बाद ही यह चारा घोटाले के मामले में जेल गए हैं। उस दौरान नीतीश से लालू ने दोस्ती कर बिहार में भाजपा के विजय रथ पर ब्रेक लगा दिया था और एक नया समीकरण बनया था। इसके नीतीश के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार का गठन हुआ और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री और लालू के दोनों लाल को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया। हालंकि बाद में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ कर भाजपा में शामिल हो कर सरकार बना लिए।

वहीं लालू प्रसाद इस राजनीतिक आघात से अभी उबरे भी नहीं थे कि झारखंड में चल रहे चारा घोटाला के तीन मामलों में एक-एक कर उनको को सजा हो गई। इसके साथ लालू रांची की होटवार जेल भेज दिए गए। इसके बाद वे करीब साढ़े तीन साल बाद जमानत मिलने पर रिहा होंगे। हालांकि लालू की रिहाई के लिए इस बार पूरा लालू परिवार भक्तिमय हो गया था जहां बेटी रमजान के महीने में रोजा रख रही थी तो वहीं बड़े बेटे मां दुर्गा की आराधना में लगे हुए थे और छोटे बेटे ने भी बाबा बैजनाथ धाम में जाकर भगवान शिव से उनकी रिहाई को लेकर मोनोकामा मांगी थी।

बहरहाल , अब देखना यह है कि फिलहाल अपने कारणों से दिल्ली एम्स में भर्ती लालू यादव कब स्वस्थ होते हैं और जेल से बाहर आकर फिर से बिहार की राजनीतिक गलियों में अपना वर्चस्व बनाते हैं क्योंकि उनका वापस आना है महागठबंधन के लिए एक बहुत बड़ा स्वागत है।

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