पटना : एनडीए में शामिल भाजपा के दो मित्र दलों ने झारखंड में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों को एक फीसदी वोट भी मयस्सर नहीं हुआ। लोजपा और जदयू दोनों एनडीए का हिस्सा हैं। लेकिन दोनों ने झारखंड में भाजपा के खिलाफ चुनाव में प्रत्याशी उतारे। यहां तक कि दोनों दलों ने वहां अपने बूते पर सरकार बदलने की बात कही थी। लेकिन भाजपा के साथ ही एनडीए के इन दो दलों को भी करारा झटका लगा है।
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दरअसल जदयू और लोजपा, दोनों को भाजपा से झारखंड में सीट शेयरिंग और सम्मानजनक भागीदारी की अपेक्षा की थी। लेकिन भाजपा ने वहां दोनों दलों को कोई घास नहीं डाली। इसके बाद जदयू ने अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया। नीतीश कुमार की जदयू ने पूरा दमखम भी लगाया और 47 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। लेकिन नीतीश की पार्टी को एक फीसदी वोट भी नहीं मिला। जदयू को लगभग 0.80 फीसदी वोट से ही संतोष करना पड़ा।
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उधर रामविलास की लोजपा का भी यही हाल रहा। लोजपा ने झारखंड की पचास सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन चुनाव परिणाम में लोजपा को जदयू से भी कम वोट मिले। यानि लगभग 0.27 फीसदी वोट से संतोष करना पड़ा। साफ है कि मौजूदा परिणाम ने यह बता दिया कि झारखंड में जदयू का नीतीश मॉडल जनता को स्वीकार्य नहीं है।
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