पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू महागठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी को देने के अपने वादे से पलट गई है। नीतीश कुमार ने खुद मीडिया के सामने 2025 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी को नेतृत्व देने की बात कही थी। लेकिन अब उपेंद्र कुशवाहा की बगावत के बाद उनकी पार्टी भारी दबाव में है। इसी दबाव में जदयू को तेजस्वी पर अपना स्टैंड बदलना पड़ गया है। लेकिन जदयू के इस कदम ने राजद से उसके रिश्तों की गांठ पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।
तेजस्वी को सीएम फेस मानने से इनकार
JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने 2025 में राजद के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को महागठबंधन का सीएम फेस मानने से साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा कि हमने अभी तय नहीं किया है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में सीएम उम्मीदवार कौन होगा। जब विधानसभा चुनाव का वक्त आएगा, तब हम इसपर निर्णय लेंगे। ललन की इस घोषणा को कुशवाहा की बगावत का दबाव कहा जा रहा है। उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू से इस्तीफा देकर अलग पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है।
कुशवाहा के प्रेशर में ललन सिंह का बयान
दरअसल एनडीए छोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने कई मौकों पर कहा था कि तेजस्वी यादव 2025 में महागठबंधन के सीएम फेस होंगे। उनके इस स्टैंड से जदयू के कई सांसदों और नेताओं को अपना राजनीतिक भविष्य रसातल में जाता लगने लगा। यही कारण है कि कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तेजस्वी को सीएम फेस बनाने की घोषणा का विरोध किया। कुशवाहा के इस बगावत से पूरी जदयू पार्टी के टूटने का ही खतरा पैदा होता देख जदयू दबाव में आ गया है।
यह दबाव ललन सिंह के मीडिया में दिये बयान में दिखा जब उन्होंने कहा कि उनके जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि कुशवाहा दिल्ली और पटना यात्रा के दौरान किससे मिले थे। हम जानते हैं कि कौन उनके संपर्क में है। स्पष्ट है कि ललन के बयान में यह डर कहीं न कहीं छिपा है कि जदयू के कुछ दूसरे नेता भी कुशवाहा की डगर पर न चल निकलें।