नीतीश 7.0: बड़ा होते हुए भी छोटे भाई की भूमिका में भाजपा, नीतीश बने सीएम
पटना: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार एनडीए विधानमंडल दल के नेता नीतीश कुमार को राज्यपाल फागू चौहान ने 4 बजकर 36 मिनट पर पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
नीतीश कुमार के बाद राजग विधानमंडल दल के उपनेता तारकिशोर प्रसाद ने पद एवं गोपनीयता का शपथ लिया। इसके बाद भाजपा की रेणु देवी ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। जदयू के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी, विजेंद्र यादव, अशोक चौधरी, मेवालाल चौधरी, शीला कुमारी, संतोष कुमार सुमन मांझी, मुकेश सहनी, मंगल पांडेय, अमरेंद्र प्रताप सिंह, रामप्रीत पासवान, जीवेश मिश्र, रामसूरत राय को भी पद एवं गोपनीयता का शपथ दिलाया गया।
मंत्रिमंडल का पहला स्वरूप सामने आने के बाद इस बात की चर्चा होनी शुरू हो गई है कि बिहार की जनता ने भाजपा को छोटे भाई से बड़ा भाई बनाया, लेकिन भाजपा बड़ा बनकर छोटे भाई की भूमिका में रहना पसंद कर रही है।
लेकिन, सबसे दिलचस्प बात यह है कि जो लोग बिहार की राजनीति पर नजर बनाए रखते हैं, उन्हें इस बात स्मरण होगा कि जब 2013 में नीतीश कुमार भाजपा से अलग हुए थी और भाजपा विपक्ष की भूमिका में थी, तो सरकार की गलत नीतियों का विरोध में सुशील कुमार मोदी अनशन पर बैठ गए थे।
सुशील मोदी के अनशन को समाप्त करवाने भाजपा के तात्कालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह व अरुण जेटली पहुंचे थे। इस मौके पर अरुण जेटली ने कहा था कि सुशील जी, चिंता मत कीजिए, बहुत जल्द बिहार में भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी और सबसे बड़ी पार्टी बनेगी।
लेकिन, आज की जो स्थिति है उस अनुसार भाजपा राजग में सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन, कोई सीएम का चेहरा नहीं है। उस समय जब अरुण जेटली बिहार में विशुद्ध भाजपा सरकार की बात कर रहे थे, तो राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। लेकिन, संयोग देखिए। आज अरुण जेटली इस दुनिया में नहीं हैं और राजनाथ सिंह कल नेता चुनने पहुंचे थे। परंतु, जिस नेता से पूर्ण बहुमत की सरकार का दावा कर रहे थे, उसी नेता की विदाई राजनाथ सिंह के समक्ष हो गई।
बिहार भाजपा के लिए निकट भविष्य में चीजें बहुत तेजी से बदलने वालीं हैं। नई सरकार के गठन के बाद और 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले बिहार भाजपा का स्वरूप क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में है।